आरबीआई/2024-25/129
विवि.सीएपी.आरईसी.सं.70/21.06.201/2024-25
25 मार्च 2025
सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
महोदया/ महोदय
मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड) निदेश, 2025
भारतीय रिज़र्व बैंक ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के लिए समय-समय पर पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंडों पर कई दिशानिर्देश/अनुदेश/निदेश जारी किए हैं।
2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को वर्तमान अनुदेश एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने हेतु, संदर्भ के लिए इस विषय पर सभी मौजूदा दिशानिर्देश/अनुदेश/निदेशों को शामिल करते हुए मास्टर निदेश तैयार किया गया है। इस निदेश में मौजूदा दिशानिर्देशों के उपयुक्त संशोधन और युक्तिकरण भी शामिल है।
3. यह निदेश आरबीआई द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 35ए के तहत प्रदत्त शक्तियों और सक्षमकारी सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किया गया है।
भवदीया
(उषा जानकीरामन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
विवि.सीएपी.आरईसी.सं.70/21.06.201/2024-25
25 मार्च 2025
मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड) निदेश, 2025
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (जिसे आगे अधिनियम कहा जाएगा) की धारा 35ए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (जिसे आगे रिज़र्व बैंक कहा जाएगा), इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और समीचीन है, इसके द्वारा, विनिर्दिष्ट निदेश जारी करता है।
अध्याय I: प्रस्तावना
1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ
(ए) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड) निदेश, 2025 कहा जाएगा।
(बी) यह निदेश 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे।
2. प्रयोज्यता
यह निदेश सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) पर लागू होंगे।
3. उद्देश्य
इस मास्टर निदेश में बैंकों द्वारा उनके जोखिमों और उसके घटकों के अनुरूप प्रदान की जाने वाली पूंजी के बारे में निदेश शामिल हैं। यह निदेश पूंजी पर्याप्तता के दृष्टिकोण से विवेकपूर्ण मानदंडों को निर्दिष्ट करने का काम करते हैं। आरआरबी को विशिष्ट लिखतों/उत्पादों/गतिविधियों में लेनदेन करने की अनुमति समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए विनियमन, निदेशों और दिशानिर्देशों द्वारा निर्देशित होगी।
4. परिभाषाएँ
4.1 इस मास्टर निदेश में जब तक कि संदर्भ अन्यथा अपेक्षित न हो:
(ए) "क्रेडिट जोखिम" को इस संभावना के रूप में परिभाषित किया गया है कि बैंक उधारकर्ता अथवा प्रतिपक्ष सहमत शर्तों के अनुसार अपनी देयताएं पूरा नहीं कर पाएं। यह उधारकर्ताओं अथवा प्रतिपक्षकारों की क्रेडिट गुणवत्ता में कमी से संबद्ध हानि की संभावना भी हो सकती है।
(बी) "आस्थगित कर आस्तियां" और "आस्थगित कर देयताएं" का वही अर्थ होगा जो लागू लेखांकन मानकों के तहत निर्दिष्ट किया गया है।
(सी) "व्युत्पन्नी" का वही अर्थ होगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45यू(ए) में निर्दिष्ट है।
(डी) "सामान्य प्रावधान और आरक्षित हानि निधि" में बैंक की बहियों में दर्शित सामान्य प्रकृति के ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो किसी पहचाने गए संभावित हानी अथवा किसी आस्ति अथवा ज्ञात देयता के मूल्य में ह्रास के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
(ई) "अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों" का वही अर्थ होगा जो समय-समय पर संशोधित आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पर भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेश - 2021 के खंड 3(xxiii) के तहत परिभाषित किया गया है।
(एफ) "सार्वजनिक वित्तीय संस्थान" का वही अर्थ होगा जैसा कि कंपनी अधिनियम, 2013 की उप-धारा 2(72) के तहत परिभाषित किया गया है।
4.2 अन्य सभी अभिव्यक्तियां, जब तक कि उन्हें यहां परिभाषित न किया जाए, उनका वही अर्थ होगा जो उन्हें बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 अथवा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 और उसके तहत बनाए गए नियमों/विनियमों अथवा किसी सांविधिक संशोधन अथवा पुनः अधिनियमन अथवा वाणिज्यिक भाषा में उपयोग किए जाने, जैसा भी मामला हो, के अनुसार प्रदान किया गया हो।
अध्याय II: विनियामकीय पूंजी की संरचना
5. न्यूनतम विनियामकीय पूंजी
आरआरबी को निरंतर आधार पर 9 प्रतिशत का न्यूनतम जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) बनाए रखना आवश्यक है। बैंक सीआरएआर की गणना निम्न तरीके से करेगा:
जहाँ, कुल जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) की गणना आरडब्ल्यूए और अन्य तुलन पत्रेतर जोखिमों के योग के रूप में की जाती है, जैसा कि नीचे पैराग्राफ 7 में उल्लिखित है।
6. पूंजी निधियों की परिभाषा
पूंजी पर्याप्तता उद्देश्य के लिए पूंजी निधि में टियर 1 और टियर 2 पूंजी शामिल होगी।
6.1 टियर 1 पूंजी
6.1.1 टियर 1 पूंजी के घटक
टियर 1 पूंजी के आधार हैं:
(ए) चुकता शेयर पूंजी
(बी) शेयर प्रीमियम, यदि कोई हो, जो शेयरों के जारी करने पर उत्पन्न होता है
(सी) शेयर पूंजी जमा
(डी) सांविधिक और अन्य निर्बंध आरक्षित निधि1
(ई) आस्तियों की बिक्री आय से उत्पन्न अधिशेष को दर्शाने वाली पूंजी आरक्षित निधि
(एफ) पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधियों, जो बैंक की संपत्ति के पुनर्मूल्यांकन के परिणामस्वरूप उसकी वहन राशि में परिवर्तन से उत्पन्न होती है, उसे 55 प्रतिशत की छूट पर टियर 1 पूंजी के रूप में माना जा सकता है, बशर्ते कि निम्नलिखित शर्तें पूरी हों:
(i) बैंक अपनी इच्छा से संपत्ति को आसानी से बेच सकता है और संपत्ति को बेचने में कोई कानूनी बाधा नहीं हो;
(ii) पुनर्मूल्यांकन भंडार बैंक के तुलनपत्र में अनुसूची 2: आरक्षित निधि और अधिशेष के अंतर्गत दिखाए जाते हो;
(iii) पुनर्मूल्यांकन लागू लेखांकन मानकों के अनुसार यथार्थवादी हो;
(iv) मूल्यांकन दो स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ताओं से, कम से कम हर तीन साल में एक बार प्राप्त किए जाते हो;
(v) जहां किसी घटना के कारण संपत्ति का मूल्य काफी अपसामान्य हो गया है, वहां इनका तुरंत पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए और पूंजी पर्याप्तता गणना में उचित रूप से शामिल किया जाना चाहिए;
(vi) बैंक के बाहरी लेखा परीक्षकों ने संपत्ति के पुनर्मूल्यांकन पर कोई सापेक्ष टिप्पणी नहीं की हो;
(vii) संपत्तियों के मूल्यांकन और अन्य विशिष्ट आवश्यकताओं पर अनुदेशों का सख्ती से पालन किया जाता है, जैसा कि 22 जून 2009 को ‘संपत्तियों का मूल्यांकन - मूल्यांकनकर्ताओं का पैनल’ पर परिपत्र आरपीसीडी.केंका.आरआरबी.बीसी.सं.115/03.05.33/2008-09 में उल्लेख किया गया है।
नोट: पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि जो टियर 1 पूंजी के रूप में योग्य नहीं हैं, वह टियर 2 पूंजी के रूप में भी अहर्क नही होगी। बैंक अपने विवेक पर टियर 1 पूंजी अथवा टियर 2 पूंजी में पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि की गणना कर सकता है, बशर्ते कि ऊपर निर्दिष्ट सभी शर्तें पूरी हों।
(जी) पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में लाभ और हानि खाते में शेष राशि।
(एच) स्थायी ऋण लिखत (पीडीआई), जो अनुबंध I में विनिर्दिष्ट विनियामकीय आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं, निम्न पैरा 6.1.2 में निर्धारित सीमाओं के अधीन, टियर 1 पूंजी में शामिल किए जाने के लिए पात्र हैं।
6.1.2 टियर 1 पूंजी में सीमाएँ
(ए) निम्न पैरा 6.1.3 के अनुसार विनियामकीय समायोजन/कटौती के बाद कुल टियर 1 पूंजी आरडब्ल्यूए के 7 प्रतिशत से कम नहीं हो।
(बी) 7 प्रतिशत की न्यूनतम टियर 1 पूंजी में से, पीडीआई कुल आरडब्ल्यूए के 1.5 प्रतिशत तक सीमित होंगे।
(सी) आरडब्ल्यूए के 1.5 प्रतिशत से अधिक पीडीआई के माध्यम से जुटाई गई कोई भी अतिरिक्त राशि भी टियर 1 पूंजी के रूप में गिनी जा सकती है।
बशर्ते कि बैंक ऐसी अतिरिक्त राशियों की गणना करने से पहले आरडब्ल्यूए के 7 प्रतिशत की न्यूनतम टियर 1 पूंजी का अनुपालन करता हो।
6.1.3 पूंजी से विनियामकीय समायोजन/कटौतियाँ
6.1.3.1 निम्नलिखित मदों को टियर 1 पूंजी से पूरी तरह से घटाया जाएगा:
(ए) गुडविल और अन्य अमूर्त आस्तियां
(बी) चालू वर्ष में हानि और पिछले वर्षों से आगे लाई गई हानि
(सी) परिभाषित लाभ पेंशन आस्तियां और देयताएँ: तुलन पत्र में शामिल परिभाषित लाभ पेंशन निधि देयताओं को टियर 1 पूंजी की गणना में पूरी तरह से मान्यता दी जानी चाहिए (अर्थात, इन देयताओं को मान्यता न देने पर टियर 1 पूंजी को बढ़ाया नहीं जा सकता)। प्रत्येक परिभाषित लाभ के लिए पेंशन निधि जो तुलन पत्र पर एक आस्ति है, टियर 1 की गणना करते समय उस आस्ति को घटाया जाना चाहिए।
नोट 1: निम्नलिखित मदें, यदि पर्यवेक्षी निरीक्षण के दौरान अथवा अन्यथा पहचानी जाती हैं, तो उन्हें भी टियर 1 पूंजी से घटाया जाएगा:
(i) एनपीए प्रावधानों में घाटा2
(ii) गैर-निष्पादित आस्तियों पर गलत तरीके से पहचान की गई आय
(iii) बैंक पर हस्तांतरित देयता के लिए आवश्यक प्रावधान, और ऐसी ही अन्य राशियाँ।
नोट 2: समय-समय पर यथा-संशोधित दिनांक 30 अगस्त, 2021 के भारतीय रिज़र्व बैंक (वित्तीय विवरण – प्रस्तुतीकरण और प्रकटीकरण) निदेश, 2021 के अनुसार, पेंशन से संबंधित अशोध्य व्यय आरआरबी की टियर 1 पूंजी से घटाया नहीं जाएगा।
6.1.3.2 आस्थगित कर आस्तियों का निरूपण
(ए) संचित घाटे और ऐसी अन्य आस्तियों से जुड़ी आस्थगित कर आस्तियों (डीटीए) को टियर 1 पूंजी से पूर्ण रूप से घटाया जाएगा।
(बी) डीटीए जो समय अंतर से संबंधित हैं (संचित हानि से संबंधित के अतिरिक्त), टियर 1 पूंजी से पूर्णत: कटौती के बदले, बैंक की टियर 1 पूंजी का 10% तक टियर 1 पूंजी में अभिनिर्धारित किया जाएं (सभी विनियामकीय समायोजन की प्रयोज्यता के उपरांत)।
(सी) टियर 1 पूंजी से कटौती की जानेवाली डीटीए राशि को संबद्ध आस्थगित कर देनदारियों (डीटीएल) के साथ निर्धारित किया जाएं,
बशर्ते कि:
-
डीटीए और डीटीएल दोनों एक ही कराधान प्राधिकरण द्वारा लगाए गए करों से संबंधित हैं और संबंधित कराधान प्राधिकरण द्वारा ऑफसेट करने की अनुमति दी गई है;
-
डीटीए पर जमा किए जाने की अनुमति प्राप्त डीटीएल में उन राशियों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए जो गुडविल (साख), अमूर्त और परिभाषित लाभ पेंशन आस्तियों की कटौती के लिए जमा की गई हैं; और
-
डीटीएल को डीटीए के बीच आनुपातिक आधार पर आवंटित किया जाना चाहिए, जो कि उपरोक्त (ए) और (बी) के अनुसार टियर 1 पूंजी से कटौती के अधीन है।
6.2 टियर 2 पूंजी
6.2.1 टियर 2 पूंजी के घटक
(ए) सामान्य प्रावधान और हानि आरक्षित निधि
सामान्य प्रावधान और हानि आरक्षित निधियां को कुल आरडब्ल्यूए के अधिकतम 1.25 प्रतिशत तक टियर 2 पूंजी के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
बशर्ते कि, बैंकों द्वारा इसे सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती गई है कि टियर 2 पूंजी के भाग के रूप में सामान्य प्रावधान की किसी भी राशि पर विचार करने से पहले सभी ज्ञात हानियों और पूर्वानुमानित संभावित हानियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं।
(बी) निवेश उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि
बैंक, निवेश उतार-चढ़ाव आरक्षित निधि में शेष राशि की पूरी राशि टियर 2 पूंजी में शामिल कर सकते हैं।
नोट: सामान्य प्रावधानों और हानि आरक्षित निधियों को टियर 2 पूंजी के रूप में मान्यता देने पर लागू सीमा आईएफआर पर लागू नहीं होती।
6.2.2 टियर 2 पूंजी की सीमाएं
पूंजी पर्याप्तता फ्रेमवर्क के अनुपालन के उद्देश्य से टियर 2 तत्वों का योग टियर 1 तत्वों के योग के अधिकतम 100 प्रतिशत तक सीमित रहेगा।
अध्याय III: जोखिम भारित आस्तियों की गणना
7. जोखिम समायोजित आस्तियां और तुलन पत्रेतर मदें
जोखिम समायोजित आस्तियों का अभिप्राय वित्त पोषित और गैर-वित्त पोषित वस्तुओं का भारित योग है। प्रतिशत भार के रूप में अभिव्यक्त किए गए क्रेडिट जोखिम की डिग्री तुलन-पत्र आस्तियों और तुलनपत्रेतर मदों में संपरिवर्तनकारी कारकों को दी गई है। बैंक, प्रत्येक आस्ति/मद के मूल्य को संगत भारांश से गुणा करेंगे ताकि आस्तियों और तुलन पत्रेतर मदों का जोखिम-समायोजित मूल्य तैयार हो सकें। कुल योग से कुल आरडब्ल्यू का गठन होगा जिसे सीआरएआर की गणना के लिए ध्यान में रखा जाएगा। तुलन पत्र आस्तियों और तुलन पत्रेतर मदों की प्रत्येक श्रेणी को आवंटित भार अनुबंध II में दिया गया हैं।
अध्याय IV: रिपोर्टिंग
8. रिपोर्टिंग
बैंक संबंधित नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय को अनुबंध-III में दिए गए प्रारूप में पूंजीगत निधि और जोखिम आस्ति अनुपात दर्शाते हुए वार्षिक विवरण प्रस्तुत करेंगे। रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की जानेवाली सांविधिक विवरणियों पर हस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत दो अधिकारियों द्वारा विवरण पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। वार्षिक लेखा को अंतिम रूप दिए जाने के तुरंत बाद विवरण प्रस्तुत किया जाएगा।
अध्याय V: निरसन और अन्य प्रावधान
9. निरसन प्रावधान
इन निदेशों के जारी होने के साथ ही अनुबंध-IV में उल्लिखित परिपत्रों में निहित अनुदेश/दिशानिर्देश निरस्त हो जाएंगे। उपर्युक्त परिपत्रों में दिए गए सभी अनुदेशों/दिशानिर्देशों को इन निदेशों के अंतर्गत दिए गए है, माना जाएगा। रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अन्य परिपत्रों/दिशानिर्देशों/अधिसूचनाओं में उपरोक्त निरसित परिपत्रों के संदर्भ वाले किसी भी संदर्भ का अर्थ निरसन की तारीख के बाद इन निदेशों अर्थात् भारतीय रिज़र्व बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड) निदेश, 2025 से है। ऐसे निरसन के बावजूद, निरसित परिपत्रों के अंतर्गत की गई अथवा शुरू की गई कोई कार्रवाई उक्त परिपत्रों के प्रावधानों द्वारा अभिशासित होती रहेगी।
10. अन्य नियम का लागू होना वर्जित नहीं
इन निदेशों के प्रावधान तत्समय प्रवृत्त किन्हीं अन्य विधियों, नियमों, विनियमों अथवा निदेशों के उपबंधों के अतिरिक्त होंगे और उनका न्यूनीकरण नहीं किया जाएगा।
11. व्याख्या
इन निदेशों के प्रावधानों को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से अथवा इन निदेशों के प्रावधानों को लागू करने अथवा व्याख्या में किसी भी कठिनाई को दूर करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा यदि आवश्यक समझा जाता है तो इन निदेशों में शामिल किसी भी मामले के संबंध में आवश्यक स्पष्टीकरण जारी किया जा सकता है और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इन निदेशों के किसी प्रावधान की दी गई व्याख्या अंतिम और बाध्यकारी होगी।
अनुबंध I
[पैराग्राफ 6.1.1(h)]
टियर 1 पूंजी के रूप में शामिल हेतु अर्हता प्राप्त करने के लिए स्थायी ऋण लिखतों पर लागू नियम और शर्तें
स्थायी ऋण लिखत (पीडीआई) जिसे आरआरबी द्वारा बांड अथवा डिबेंचर के रूप में जारी किया जाता हैं उन्हें पूंजी पर्याप्तता उद्देश्यों के लिए टियर 1 पूंजी के रूप में शामिल हेतु अर्हता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित नियमों और शर्तों को पूरा करना होगा:
1. पीडीआई जारी करने की शर्तें
(ए) राशि:
आरआरबी केवल भारतीय मुद्रा में पीडीआई जारी करेंगे। पीडीआई की जुटाई जाने वाली राशि का निर्णय बैंकों के निदेशक मंडल द्वारा लिया जाएगा।
(बी) प्रदत्त स्थिति:
बैंक द्वारा लिखत जारी किए जाने चाहिए (अर्थात इस प्रयोजन के लिए बैंक द्वारा स्थापित किसी 'एसपीवी' आदि द्वारा नहीं) और पूर्णत: प्रदत्त किए जाने चाहिए।
(सी) सीमा:
न्यूनतम टियर 1, 7 प्रतिशत के भीतर होगा और पीडीआई कुल आरडब्ल्यूए के 1.5 प्रतिशत तक सीमित होगा। आरडब्ल्यूए के 1.5 प्रतिशत से अधिक पीडीआई के माध्यम से जुटाई गई किसी भी अतिरिक्त राशि की गणना भी टियर 1 पूंजी के रूप में की जाएगी बशर्ते कि बैंक द्वारा ऐसी अतिरिक्त राशियों की गणना करने से पहले आरडब्ल्यूए की 7 प्रतिशत की न्यूनतम टियर 1 पूंजी का अनुपालन किया जाता हो।
(डी) परिपक्वता अवधि:
यह लिखत स्थायी होंगे अर्थात, इनकी कोई परिपक्वता तिथि नहीं होगी और इन्हें भुनाने के लिए कोई वृद्धिशील अथवा अन्य प्रोत्साहन नहीं हैं।
(ई) ब्याज दर:
(i) निवेशकों को देय ब्याज अथवा तो निश्चित दर पर अथवा बाजार निर्धारित रुपया ब्याज बेंचमार्क दर के संदर्भ में अस्थिर दर पर देय होगा।
(ii) इस लिखत में क्रेडिट संवेदी कूपन सुविधा नहीं हो सकती है, अर्थात, ऐसा कूपन जिसे समय-समय पर बैंकों की क्रेडिट स्थिति के आधार पर पूर्णत: अथवा आंशिक रूप से पुन:निर्धारित किया जाता है। इस प्रयोजन के लिए, व्यापक सूचकांक सहित कोई भी संदर्भ दर जो बैंक की अपनी ऋण पात्रता में परिवर्तन और/अथवा व्यापक बैंकिंग क्षेत्र की ऋण पात्रता में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है, उसे क्रेडिट संवेदी संदर्भ दर के रूप में माना जाएगा।
(एफ) विकल्प:
पीडीआई 'विक्रय विकल्प (पुट ऑप्शन)' अथवा 'वृद्धिशील विकल्प (स्टेप-अप ऑप्शन)' के साथ जारी नहीं किया जाएगा। तथापि, आरआरबी निम्नलिखित प्रत्येक शर्त का कड़ाई से अनुपालन करते हुए क्रय (कॉल) विकल्प वाले लिखत जारी कर सकते हैं:
(i) लिखत की न्यूनतम पांच वर्ष की अवधि पूरी होने बाद ही क्रय (कॉल) विकल्प का प्रयोग किया जाएगा; और
(ii) क्रय (कॉल) विकल्प का प्रयोग केवल आरबीआई (विनियमन विभाग) के पूर्वानुमोदन से किया जाएगा। क्रय (कॉल) विकल्प का प्रयोग करने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करते समय, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अन्य बातों के साथ-साथ, क्रय (कॉल) विकल्प का प्रयोग के समय तथा क्रय (कॉल) विकल्प के प्रयोग के पश्चात, दोनों ही स्थितियों में बैंक की सीआरएआर स्थिति पर विचार किया जाएगा।
(जी) अवरुद्धता (लॉक-इन) खंड:
(i) पीडीआई अवरुद्धता (लॉक-इन) खंड के अधीन होना चाहिए और इस खंड के अनुसार जारीकर्ता बैंक, ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, यदि
(ए) बैंक का सीआरएआर, आरबीआई द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा से कम है।
अथवा
(बी) इस प्रकार के भुगतान के परिणामस्वरूप बैंक का, जोखिम आस्ति अनुपात की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) आरबीआई द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक आवश्यकता से नीचे आ जाता है अथवा उससे नीचे रहता है।
(ii) तथापि, आरआरबी द्वारा आरबीआई के पूर्वानुमोदन से ब्याज का भुगतान किया जा सकता हैं, जब ऐसे भुगतान के परिणामस्वरूप निवल हानि हो सकती है अथवा निवल हानि में वृद्धि हो सकती है, बशर्ते सीआरएआर विनियामक मानदण्ड से ऊपर बना रहे। इस प्रयोजन के लिए, 'निवल हानि' का अर्थ होगा अथवा तो (क) पिछले वित्तीय वर्ष के अंत तक संचित हानि; अथवा (बी) चालू वित्तीय वर्ष के दौरान हुई हानि।
(iii) ब्याज संचयी नहीं होगा।
(iv) अवरुद्धता (लॉक-इन) खंड लागू करने के सभी मामलों को जारीकर्ता बैंकों द्वारा मुख्य महाप्रबंधक, विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक और पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड, प्रधान कार्यालय, मुंबई को अधिसूचित किया जाना चाहिए।
(एच) दावे की वरीयता:
पीडीआई में निवेशकों के दावे:
(i) इक्विटी शेयरों में निवेशकों के दावों से अधिमानी; और
(ii) अन्य सभी लेनदारों के दावों के अधीन।
(आई) छूट:
पीडीआई को पूंजी पर्याप्तता उद्देश्यों के लिए प्रगामी छूट नहीं दी जाएगी क्योंकि यह स्थायी हैं।
(जे) अन्य शर्तें:
(i) पीडीआई पूर्णत: प्रदत्त, अरक्षित और किसी भी प्रतिबंधात्मक खंड से मुक्त होना चाहिए।
(ii) आरआरबी को लिखतों को जारी करने के संबंध में सेबी/अन्य विनियामक प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों, यदि कोई है, का पालन करना चाहिए।
2. आरक्षित निधि अपेक्षाओं का अनुपालन
पीडीआई के माध्यम से बैंक द्वारा जुटाई गई कुल राशि को आरक्षित निधि अपेक्षाएं के प्रयोजन के लिए निवल मांग और मियादी देयताओं की गणना के देयता के रूप में नहीं गिना जाएगा और इस प्रकार सीआरआर/एसएलआर अपेक्षाएं लागू नहीं होगी।
3. रिपोर्टिंग अपेक्षाएं
पीडीआई जारी करने वाले आरआरबी, मुख्य महाप्रबंधक, पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड, प्रधान कार्यालय, मुंबई को उपर्युक्त पैरा 1 में विनिर्दिष्ट विषय की शर्तों सहित लिए गए ऋण का ब्यौरा देते हुए समस्या का समाधान होने के तुरंत बाद प्रस्ताव दस्तावेज की एक प्रति के साथ रिपोर्ट शीघ्र ही प्रस्तुत करेंगे।
4. पीडीआई में निवेश
(ए) आरआरबी सहित अन्य बैंकों द्वारा जारी पीडीआई में आरआरबी निवेश नहीं करेंगे।
(बी) आरआरबी, खुदरा निवेशकों/एफपीआई/एनआरआई को पीडीआई जारी नहीं करेंगे।
5. पीडीआई के पर अग्रिम अनुदान
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा जारी पीडीआई की प्रतिभूति के आधार पर अग्रिम राशि प्रदान नहीं करनी चाहिए।
6. तुलन पत्र में वर्गीकरण
आरआरबी पीडीआई जारी करके जुटाई गई राशि को तुलन-पत्र में ‘अनुसूची 4 – उधार’ के अंतर्गत दर्शा सकते हैं।
अनुबंध IV
[पैरा 9]
इन निदेशों द्वारा निरस्त किए गए परिपत्रों की सूची
1. पूर्ण रूप से निरस्त किए गए परिपत्रों की सूची
2. आंशिक रूप से निरस्त किये गये परिपत्रों की सूची (केवल आरआरबी से संबंधित भागों के लिए)
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