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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

अधिसूचनाएं


प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण (पीएसएल) लक्ष्यों की अप्राप्ति - नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी और मुद्रा लिमिटेड के पास पात्र निधियों के प्रति अंशदान का विवेकपूर्ण निरूपण

आरबीआई/2025-26/49
विवि.सीआरई.आरईसी.28/07.10.002/2025-26

9 जून 2025

वेतन अर्जक बैंकों के अलावा प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया / महोदय,

प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण (पीएसएल) लक्ष्यों की अप्राप्ति - नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी और मुद्रा लिमिटेड के पास पात्र निधियों के प्रति अंशदान का विवेकपूर्ण निरूपण

ए. एक्सपोजर मानदंडों से छूट

एकल और समूह उधारकर्ताओं/पार्टियों के लिए ऋण जोखिम (एक्सपोजर) और बड़े एक्सपोजर की सीमाएँ तथा प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण संबंधी लक्ष्य में संशोधन - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक पर दिनांक 13 मार्च 2020 के परिपत्र डीओआर (पीसीबी).बीपीडी.परि.सं.10/13.05.000/2019-20 के पैरा 2.1 के अनुसार एकल उधारकर्ता/पार्टी और आपस में संबंधित उधारकर्ताओं/पार्टियों के समूह के लिए यूसीबी की विवेकपूर्ण एक्सपोज़र सीमा उनकी टियर-I पूंजी की क्रमशः 15% और 25% है।

2. समीक्षा करने के उपरांत यह निर्णय लिया गया है कि पीएसएल लक्ष्यों की प्राप्ति में कमी के कारण नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी, मुद्रा लिमिटेड अथवा आरबीआई द्वारा विनिर्दिष्ट किसी अन्य संस्था के पास पात्र निधियों में यूसीबी द्वारा किए गए अंशदान1 को उक्त विवेकपूर्ण एक्सपोज़र सीमाएं तय करने के प्रयोजन से ऐसे प्रतिपक्षकारों के प्रति यूसीबी के समग्र एक्सपोज़र की गणना करते समय सम्मिलित नहीं किया जाएगा।

बी. जोखिम भार

3. यह भी स्पष्ट किया जाता है कि पीएसएल लक्ष्यों की प्राप्ति में कमी के कारण उक्त पात्र निधियों में यूसीबी द्वारा किया गया अंशदान ‘अन्य सभी आस्तियों’ की श्रेणी में आएगा, जिस पर पूंजी पर्याप्तता प्रयोजन के लिए दिनांक 25 अप्रैल 2001 के ‘शहरी (प्राथमिक) सहकारी बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता मानदंडों के अनुप्रयोग’ पर आरबीआई परिपत्र यूबीडी.सं.पीओटी.पीसीबी.परि.सं.45/09.116.00/2000-01 के अनुबंध 1 के अनुसार 100%2 का जोखिम भार लगेगा।

सी. प्रयोज्यता

4. उपर्युक्त अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

भवदीय,

(वैभव चतुर्वेदी)
मुख्य महाप्रबंधक


1 समय-समय पर यथा संशोधित, 'प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण – लक्ष्य और वर्गीकरण' पर दिनांक 24 मार्च 2025 के आरबीआई के मास्टर निदेश विसविवि.केंका.पीएसडी.बीसी.13/04.09.001/2024-25 के पैरा 29 (i) के अनुसार।

2 परिपत्र के अनुबंध-1 के अनुसार शीर्ष ‘अन्य आस्तियां’ के अंतर्गत ‘अन्य सभी आस्तियां’।

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