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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अधिसूचनाएं


भारतीय रिज़र्व बैंक (सोने और चांदी के संपार्श्विक पर ऋण) - (पहला संशोधन) निदेश 2025

आरबीआई/2025-26/84
विवि.सीआरई.आरईसी.52/21.01.023/2025-26

29 सितंबर 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक (सोने और चांदी के संपार्श्विक पर ऋण) - (पहला संशोधन) निदेश 2025

रिज़र्व बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक (सोने और चांदी के संपार्श्विक पर ऋण) निदेश, 2025 (जिन्हें आगे "निदेश" कहा जाएगा) जारी किए हैं। बाज़ार के फीडबैक के आधार पर समीक्षा के बाद, कुछ पहलुओं को स्पष्ट करने के उद्देश्य से कुछ संशोधनों की परिकल्पना की गई है।

2. तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 21, 35ए और 56; भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45जेए, 45एल और 45एम; तथा राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम 1987 की धारा 30ए, 32 और 33 तथा इस संबंध में रिज़र्व बैंक को सक्षम बनाने वाले अन्य सभी कानूनों द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, रिजर्व बैंक, इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और समीचीन है, एतद्द्वारा निर्दिष्ट निम्नलिखित संशोधन निदेश जारी करता है।

3. प्रस्तावित संशोधनों में निदेश को निम्नानुसार संशोधित किया गया है:

(i) पैराग्राफ 12 नीचे दिए अनुसार संशोधित किया जाएगा:

12. कोई भी उधारदाता किसी भी प्रकार का अग्रिम या ऋण नहीं देगा:

(i) अपरिष्कृत सोना, गहने, आभूषण या सिक्के सहित किसी भी रूप में सोने की खरीद के लिए या सोने द्वारा समर्थित वित्तीय आस्तियों जैसे, एक्सचेंज में खरीदे-बेचे गए फंड (ईटीएफ) की इकाइयां या म्यूचुअल फंड की यूनिट, की खरीद के लिए; और

(ii) अपरिष्कृत सोने या चांदी या अपरिष्कृत सोने या चांदी द्वारा समर्थित वित्तीय आस्तियों के विरुद्ध।

बशर्ते कि कोई अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक या टियर 3 या 4 शहरी सहकारी बैंक उन उधारकर्ताओं को आवश्यकता-आधारित कार्यशील पूंजी वित्त प्रदान कर सकता है जो सोने या चांदी का उपयोग कच्चे माल के रूप में या अपने ऐसे विनिर्माण या औद्योगिक प्रसंस्करण गतिविधि में इनपुट के रूप में करते हैं, जिसके लिए ऐसा सोना या चांदी प्रतिभूति के रूप में भी स्वीकार किया जा सकता है। ऐसा वित्त प्रदान करने वाला बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि उधारकर्ता निवेश या सट्टेबाज़ी प्रयोजनों के लिए सोना न खरीदें या न रखें।

(ii) अनुबंध 2 में, क्रम संख्या 17 के पश्चात निम्नलिखित को सम्मिलित किया जाएगा, अर्थात:

क्र.सं. परिपत्र सं. तारीख विषय
17क डीबीओडी.सं.निदेश.बीसी.57/13.03.00/2012-13 19 नवंबर 2012 सोने की खरीद के लिए बैंक वित्त
17ख. आरपीसीडी.केंका.बीसी. 50/03.05.33/2012-13 5 दिसंबर 2012 सोने की खरीद के लिए बैंक वित्त
17ग. यूबीडी.बीपीडी.(पीसीबी) परि सं.36/13.05.001/2012-13 6 फरवरी 2013 सोने की खरीद के लिए बैंक वित्त
17घ. आरपीसीडी.आरसीबी.बीसी.सं.64/07.51.014/2012-13 7 फरवरी 2013 सोने की खरीद के लिए बैंक वित्त

4. ये संशोधन निदेश को अपनाने की तारीख से लागू होंगे, जैसा कि इसके पैराग्राफ 4 में प्रावधान है। जिन उधारदाताओं ने पहले ही इन निदेश को अपना लिया है, उनके लिए यह संशोधन 1 अक्तूबर 2025 से प्रभावी होगा।

(वैभव चतुर्वेदी)
मुख्य महाप्रबंधक

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