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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

अधिसूचनाएं


नाबार्ड द्वारा स्थापित साझा सेवा इकाई (एसएसई) में राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) द्वारा निवेश

आरबीआई/2025-26/80
विवि.एमआरजी.आरईसी.49/00.00.011/2025-26

26 सितंबर 2025

सभी राज्य/केंद्रीय सहकारी बैंक

महोदया/ महोदय,

नाबार्ड द्वारा स्थापित साझा सेवा इकाई (एसएसई) में राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) द्वारा निवेश

कृपया राज्य/केन्द्रीय सहकारी बैंकों द्वारा गैर-एसएलआर लिखतों में निवेश पर दिनांक 14 जुलाई 2016 के परिपत्र डीसीबीआर.बीपीडी.बीसी.सं.01/19.51.026/2016-17 (जिसे आगे मौजूदा अनुदेश कहा जाएगा) को देखें। परिपत्र में अन्य बातों के साथ-साथ अनुमेय गैर-एसएलआर लिखतों, बैंक के कुल गैर-एसएलआर निवेशों की विवेकपूर्ण सीमा, तथा गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर प्रतिभूतियों में उसके निवेश पर सीमा का उल्लेख किया गया है।

2. आरबीआई ने अप्रैल 2025 में राज्य सहकारी बैंकों और केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए साझा सेवा इकाई (एसएसई) की स्थापना के लिए नाबार्ड के प्रस्ताव को विनियामक अनुमोदन प्रदान किया है, जिसमें यह परिकल्पना की गई है कि राज्य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंक स्वैच्छिक आधार पर एसएसई की शेयर पूंजी की सदस्यता ले सकते हैं। इस संदर्भ में, एसटीसीबी/सीसीबी द्वारा गैर-एसएलआर लिखतों में निवेश पर मौजूदा अनुदेशों की उपयुक्त समीक्षा करने की आवश्यकता है।

3. तदनुसार, संबंधित अनुदेशों की समीक्षा की गई है और भारतीय रिज़र्व बैंक (राज्य/केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा गैर-एसएलआर लिखतों में निवेश) निदेश, 2025 के तहत उनमें संशोधन किया जा रहा है।

भवदीया,

(उषा जानकीरामन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक (राज्य/केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा गैर-एसएलआर लिखतों में निवेश) निदेश, 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 जुलाई 2016 को ‘राज्य/केन्द्रीय सहकारी बैंकों द्वारा गैर-एसएलआर लिखतों में निवेश’ पर परिपत्र जारी किया था (जिसे आगे मौजूदा अनुदेश कहा जाएगा) जिसमें राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और केन्द्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) द्वारा गैर-एसएलआर लिखतों में निवेश को नियंत्रित करने वाले विवेकपूर्ण मानदंडों को शामिल किया गया था। एस.टी.सी.बी./सी.सी.बी. के लिए साझा सेवा इकाई (एस.एस.ई.) की स्थापना के लिए नाबार्ड को दी गई मंजूरी को ध्यान में रखते हुए मौजूदा अनुदेशों में संशोधन करने की आवश्यकता है।

2. तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (जिसे आगे अधिनियम कहा जाएगा) की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक (जिसे आगे रिज़र्व बैंक कहा जाएगा) को सक्षम बनाने वाले अन्य सभी विधियों का प्रयोग करते हुए, रिज़र्व बैंक, इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और समीचीन है, इसके द्वारा, इसमें आगे विनिर्दिष्ट निदेश जारी करता है।

3. (i) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (राज्य/केन्द्रीय सहकारी बैंकों द्वारा गैर-एसएलआर लिखतों में निवेश) निदेश, 2025 कहा जाएगा।

(ii) यह निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

4. यह निदेश मौजूदा अनुदेशों को निम्नानुसार संशोधित करते हैं:

(i) परिपत्र के पैरा 2.2(सी) के बाद, निम्नलिखित पैरा 2.2(डी) जोड़ा जाएगा, अर्थात्: -

“2.2(डी) नाबार्ड द्वारा राज्य सहकारी बैंकों और केन्द्रीय सहकारी बैंकों के लिए स्थापित साझा सेवा इकाई (एसएसई) की शेयर पूंजी।”

(ii) परिपत्र के पैरा 2.3(आई) के बाद निम्नलिखित पैरा 2.3(जे) जोड़ा जाएगा, अर्थात्: -

“2.3(जे) एस.टी.सी.बी./सी.सी.बी. द्वारा एस.एस.ई. की शेयर पूंजी में निवेश उसके स्वामित्व वाली निधियों (चुकता शेयर पूंजी और आरक्षित निधि) के पांच प्रतिशत तक सीमित होगा। तथापि, ऐसे निवेश को पैरा 2.1 में विनिर्दिष्ट गैर-एसएलआर निवेशों पर विवेकपूर्ण सीमा और पैरा 2.3(डी) में विनिर्दिष्ट गैर-सूचीबद्ध गैर-एसएलआर निवेशों में निवेश की सीमा से छूट प्राप्त होगी।

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