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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अधिसूचनाएं


भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) (द्वितीय संशोधन) निदेश, 2025

आरबीआई/2025-26/75
विवि.एएमएल.आरईसी.46/14.01.001/2025-26

14 अगस्त 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) (द्वितीय संशोधन) निदेश, 2025

रिज़र्व बैंक ने पीएमएल अधिनियम, 2002 और इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के प्रावधानों के अनुपालन में भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 (जिसे आगे मास्टर निदेश कहा जाएगा) जारी किया था। मौजूदा निदेशों की समीक्षा के आधार पर इसमें और संशोधन करने की आवश्यकता है।

2. तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के साथ पठित अधिनियम की धारा 56, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेए, 45के और 45एल, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 18 के साथ पठित धारा 10(2), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 की धारा 11(1), धन शोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियम, 2005 के नियम 9(14) और इस संबंध में रिज़र्व बैंक को सक्षम बनाने वाले अन्य सभी कानूनों द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और समीचीन है, इसके बाद निर्दिष्ट संशोधन निदेश जारी करता है।

3. (i) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) (द्वितीय संशोधन) निदेश, 2025 कहा जाएगा।

(ii) ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

4. ये संशोधन निदेश, भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 को निम्नानुसार आशोधित करते हैं:

(i) पैराग्राफ 1 में, उप-पैरा 1(बी) के पश्चात् निम्नलिखित शब्द जोड़े जाएंगे, अर्थात्:

"1(सी) केवाईसी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) निम्नलिखित लिंक पर देखे जा सकते हैं - भारतीय रिजर्व बैंक - अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (rbi.org.in).".

(ii) पैराग्राफ 11 में, "वंचित" शब्द के पश्चात् निम्नलिखित शब्द सम्मिलित किए जाएंगे, अर्थात्: -

"जिनमे दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी) भी शामिल हैं। ऑनबोर्डिंग अथवा केवाईसी के आवधिक अद्यतनीकरण के लिए कोई भी आवेदन बिना सोचे-समझे अस्वीकार नहीं किया जाएगा। अस्वीकृति का/के कारण संबंधित अधिकारी द्वारा विधिवत दर्ज किया जाएगा।"

(iii) पैराग्राफ 14 में, "संबंध" शब्द के पश्चात् निम्नलिखित सम्मिलित किए जाएंगे, अर्थात्: -

"या पचास हजार रुपये के बराबर अथवा उससे अधिक राशि का यदा-कदा लेन-देन करते समय, चाहे वह एकल लेन-देन हो अथवा कई लेन-देन जो आपस में जुड़े हुए प्रतीत होते हों, अथवा कोई अंतर्राष्ट्रीय धन अंतरण परिचालन हो"

(iv) पैराग्राफ 16 के स्पष्टीकरण 2 में, "प्रमाणीकरण" शब्द के पश्चात् निम्नलिखित शब्द सम्मिलित किए जाएंगे, अर्थात्: -

"आधार चेहरा प्रमाणीकरण सहित"

(v) पैरा 18 (बी) (i) में, "उस पर" शब्दों के पश्चात् निम्नलिखित शब्द सम्मिलित किए जाएंगे, अर्थात्: -

"जीवंतता जांच के परिणाम स्वरूप विशेष आवश्यकता वाले व्यक्ति को अपवर्जित नहीं रखा जाएगा।"

(vi) परिशिष्ट में,

ए. क्रम संख्या 205 के पश्चात निम्नलिखित को सम्मिलित किया जाएगा, अर्थात्: -

"205ए. 13 नवंबर 2009 का परिपत्र डीएनबीएस. (पीडी). सीसी. 164/03.10.042/2009-10"; और

बी. क्रम संख्या 206 के पश्चात निम्नलिखित को सम्मिलित किया जाएगा, अर्थात्: -

"206ए. 23 अप्रैल 2010 का परिपत्र डीएनबीएस. (पीडी). सीसी.सं. 171/03.10.42/2009-10

(साईदत्त संग्राम केशरी प्रधान)
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