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वित्तीय बाजार

सुचारू ढ़ंग से कार्य करने वाले, चलनिधि युक्त और लचीले वित्तीय बाजार मौद्रिक नीति अंतरण और भारत के विकास के वित्तपोषण में अपरिहार्य जोखिमों के आवंटन और अवशोषण में सहायता करते हैं।

अधिसूचनाएं


मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (पुनर्खरीद संव्यवहार (रेपो)) निदेश, 2025

आरबीआई/2025-26/142
विबाविवि.डीआईआरडी.04/14.03.038/2025-26

11 नवम्बर, 2025

रेपो बाजार में सभी प्रतिभागी

प्रिय महोदय/महोदया,

मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (पुनर्खरीद संव्यवहार (रेपो)) निदेश, 2025

कृपया समय-समय पर यथासंशोधित पुनर्खरीद संव्यवहार (रेपो) (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 दिनांकित 24 जुलाई, 2018 देखें।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45यू के खंड (ई) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्रीय सरकार ने, नगरपालिका ऋण प्रतिभूतियों को, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का 15) या उसके तहत बनाए गए नियमों या विनियमों में इसे सौंपा गया अर्थ रखते हुए, आधिकारिक राजपत्र में 22 अक्टूबर, 2025 की अधिसूचना के माध्यम से "रेपो" और "रिवर्स रेपो" के प्रयोजनों के लिए उक्त धारा के तहत प्रतिभूति के रूप में विनिर्दिष्ट किया है।

3. तदनुसार, रेपो संव्यवहार के लिए पात्र प्रतिभूतियों के रूप में नगरपालिका ऋण प्रतिभूतियों को शामिल करने के लिए उपरोक्त निदेशों को अद्यतन किया जा रहा है। मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (पुनर्खरीद संव्यवहार (रेपो)) निदेश, 2025, आज जारी किए गए हैं और इसके साथ संलग्न हैं।

4. ये निदेश रिज़र्व बैंक द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45यू के साथ पठित धारा 45डबल्यू के तहत प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में इसे सक्षम बनाने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं।

5. ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

भवदीया

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
वित्‍तीय बाजार विनियमन विभाग
9वीं मंजिल, केन्‍द्रीय कार्यालय भवन, फोर्ट
मुम्‍बई – 400 001

अधिसूचना सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.05/14.03.038/2025-26 दिनांकित 11 नवंबर, 2025

मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (पुनर्खरीद संव्‍यवहार (रेपो)) निदेश, 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक), जनहित में आवश्‍यक समझते हुए और देश की वित्‍तीय प्रणाली को इसके लाभ के लिए नियंत्रित करने की दृष्टि से, भारत में बाजार पुनर्खरीद संव्‍यवहार (रेपो) में सभी पात्र व्‍यक्तियों को कारोबार में सहभागिता या कारोबारी लेनदेन करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (आरबीआई अधिनियम) की धारा 45डबल्यू के माध्‍यम से इस संबंध में प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्‍नलिखित निदेश जारी करता है:

1. इन निदेशों का संक्षिप्त शीर्षक, प्रवर्तन और अनुमेयता

(1) इन निदेशों को मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (पुनर्खरीद संव्यवहार (रेपो)) निदेश, 2025 कहा जाएगा और ये निदेश इस विषय पर और इन विनियमों के दायरे में शामिल अन्य सभी निदेशों का अधिक्रमण करेंगे। ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

(2) ये निदेश मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों, ईटीपी और ओटीसी पर किये गए पुनर्खरीद संव्यवहारों (रेपो) पर इनमें वर्णित सीमा तक अनुमेय होंगे। एक्सचेंज ट्रेडेड पुनर्खरीद संव्यवहारों के मामले में सौदों के निष्पादन और निपटान की पद्धति मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों / भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा जारी नियमों और विनियमों के अनुसार होगी।

(3) चलनिधि समायोजन सुविधा और सीमान्त स्थायी सुविधा के तहत किए गए रेपो संव्यवहारों पर ये निदेश लागू नहीं होंगे, जिनका नियंत्रण प्रचलित विनियमों के अनुसार होता रहेगा।

2. परिभाषाएं

(1) इन निदेशों में जब तक कि सन्दर्भ में अन्यथा अपेक्षित नहीं हो -

(ए) “कार्पोरेट बॉन्ड और डिबेंचर” का आशय है भारत में निर्गत अपरिवर्तनीय ऋण प्रतिभूतियाँ जो ऋणभार का सृजन अथवा अभिस्वीकृति करती हैं, इनमें शामिल हैं (i) डिबेंचर (ii) बॉन्ड (iii) वाणिज्यिक पत्र (iv) जमा प्रमाणपत्र और किसी कम्पनी, बहुपक्षीय वित्तीय संस्था या केंद्रीय अधिनियम या राज्य अधिनियम द्वारा या इसके तहत गठित निगम निकाय की ऐसी ही अन्य प्रतिभूतियाँ, जिनसे कम्पनी अथवा निगम निकाय की आस्तियों पर कोई प्रभार सृजित होता हो अथवा नहीं, लेकिन इनमें केंद्र सरकार या राज्य सरकार या रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट किसी व्यक्ति द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियाँ, प्रतिभूति रसीदें और प्रतिभूतिकृत ऋण लिखतें शामिल नहीं हैं।

(बी) “वाणिज्यिक पत्र (सीपी)” एक ऐसी अप्रतिभूत मुद्रा बाजार लिखत है जो प्रामिसरी नोट के रूप में जारी किया जाता है। किसी सीपी की मूल समयावधि सात दिन से लेकर एक साल के बीच रहेगी।

(सी) “जमा प्रमाणपत्र (सीडी)” मुद्रा बाजार की परक्राम्य लिखत है और किसी बैंक अथवा अन्य पात्र वित्तीय संस्थान में जमा निधियों के बदले में निर्दिष्ट समयावधि के लिए डीमैटिरियलाइज्ड रूप में अथवा मीयादी प्रामिसरी नोट के रूप में जारी किया जाता है।

(डी) “ऋण ईटीएफ़” एक एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड है जो केवल इन निदेशों के पैरा 3(1) में विनिर्दिष्ट पात्र प्रतिभूतियों में निवेश करता है।

(ई) “सुपुर्दगी बनाम भुगतान (डीवीपी)” एक प्रकार की निपटान व्यवस्था है जिसमें प्रतिभूतियों के क्रेता से निधियों का अंतरण, प्रतिभूतियों के विक्रेता द्वारा प्रतिभूतियों का अंतरण करने के ठीक साथ ही किये जाने की संकल्पना निहित है।

(एफ) “सरकारी प्रतिभूतियों” का वही आशय रहेगा जो सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 की धारा 20(एफ) में निर्धारित है।

(जी) “हेयरकट” का आशय कोलैट्रल के बाजार मूल्य और उस कोलैट्रल के बदले में उधार दी गयी रकम के बीच अंतर से है।

(एच) “सूचीबद्ध कॉर्पोरेट” का आशय ऐसी कंपनी अथवा फर्म से है जिसके शेयर और (अथवा) ऋणों को मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज (जों) में सूचीबद्ध किया गया है और इनके सौदे होते हैं।

(आई) “एमएफआई” का आशय बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों से है, जिनमें भारत सरकार एक सदस्य है।

(जे) “नगरपालिका ऋण प्रतिभूतियों” का वही आशय होगा जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का 15) या इसके तहत बनाए गए नियमों या विनियमों में निर्धारित किया गया है।

(के) “मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज” का आशय वही रहेगा जो प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1996 (1956 का 42) की धारा 2(एफ़) में परिभाषित है।

(एल) “विनियमित संस्था” का आशय किसी व्यक्ति अथवा हिन्दू अविभाजित परिवार के अलावा ऐसे किसी व्यक्ति से है जिसके कारोबारी क्रियाकलापों का विनियमन भारत में निम्नलिखित में से किसी एक वित्तीय संस्थान यथा– रिज़र्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई), पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण, राष्ट्रीय आवास बैंक और राष्ट्रीय कृषि और विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा किया जाता है।

(एम) “सम्बद्ध संस्था” का आशय किसी ऐसी कंपनी अथवा फर्म से है जो (i) ऐसी कंपनी की धारक, सहायक या सहयोगी कंपनी हो, या (ii) ऐसी धारक कंपनी की सहायक कंपनी है जो स्वयं भी सहायक कंपनी हो। धारक, सहायक और सहयोगी कंपनी का आशय वही रहेगा जो कंपनी अधनियम, 2013 में परिभाषित है।

(एन) “रेपो” का आशय वही रहेगा जो रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45(यू)(सी) में परिभाषित है।

“रिवर्स रेपो” का आशय वही रहेगा जो रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45(यू)(डी) में परिभाषित है।

स्पष्टीकरण: किसी एक संस्था द्वारा किया गया रेपो संव्यवहार, प्रतिपक्षी संस्था के लिए रिवर्स ‘रेपो संव्यवहार’ कहलाता है। इन निदेशों के प्रयोजन हेतु, रेपो शब्द का प्रयोग ‘रेपो’ और ‘रिवर्स रेपो’ दोनों ही अर्थों में किया गया है और सन्दर्भ के अनुसार उचित अर्थ लगाया जाएगा।

(ओ) “प्रतिभूतिकृत ऋण लिखत” का आशय प्रतिभूति संविदा (विनिमयन) अधिनियम, 1956 (1956 का 42) की धारा 2 के खंड (एच) के उप-खंड (आई ई) में उल्लिखित प्रकार की प्रतिभूतियाँ है।

(पी) “प्रतिभूति रसीद” का आशय वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (2002 का 54) की धारा 2 के खंड (ज़ेडजी) में परिभाषित प्रतिभूति होगा।

(क्यू) “तृतीय पक्ष रेपो” का आशय ऐसी रेपो संविदा से है जिसमें कोई तृतीय पक्ष (उधारकर्ता और उधारदाता के अलावा), जिसे तृतीय पक्ष एजेंट कहा जाता है, रेपो के दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है और संव्यवहार काल के दौरान कोलैटरल के चयन, भुगतान, निपटान, अभिरक्षा और प्रबंधन जैसी सेवाओं में सुविधा प्रदान करता है।

(2) ऐसे शब्द और अभिव्यक्तियों जिनका प्रयोग तो हुआ है किन्तु इन निदेशों में परिभाषित नहीं किया गया है, उनका आशय वही रहेगा जो रिज़र्व बैंक अधनियम 1934 अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किसी अन्य मास्टर परिपत्र / अधिसूचना / निदेश / में दिया गया है, जब तक कि रिज़र्व बैंक द्वारा इसके प्रतिकूल कुछ नहीं कहा गया हो।

3. रेपो के लिए पात्र प्रतिभूतियाँ

(1) इन निदेशों के तहत रेपो के लिए पात्र प्रतिभूतियों में शामिल हैं:

(ए) केंद्र सरकार अथवा किसी राज्य सरकार द्वारा निर्गत सरकारी प्रतिभूतियाँ।

(बी) सूचीबद्ध कार्पोरेट बॉन्ड और ऋणपत्र, बशर्ते कि कोई भी सहभागी अपनी ही प्रतिभूतियों अथवा अपनी सम्बद्ध संस्था द्वारा निर्गत प्रतिभूतियों की कोलेटरल के बदले उधार नहीं लेती।

(सी) वाणिज्यिक पत्र (सीपी) और जमा-प्रमाणपत्र (सीडी)।

(डी) केंद्र सरकार द्वारा यथा निर्दिष्ट किसी स्थानीय प्राधिकरण की अन्य प्रतिभूतियाँ।

(ई) नगरपालिका ऋण प्रतिभूतियाँ।

(एफ़) स्थानीय प्राधिकरण की कोई अन्य प्रतिभूति, जिसे केंद्रीय सरकार द्वारा इसके लिए विनिर्दिष्ट किया जाए।

4. पात्र सहभागी

(1) इन निदेशों के तहत पात्र सहभागी निम्नानुसार हैं:

(ए) कोई भी विनियमित संस्था।

(बी) कोई भी सूचीबद्ध कार्पोरेट।

(सी) कोई भी गैरसूचीबद्ध कंपनी जिसे भारत सरकार द्वारा केवल इन्हीं विशेष प्रतिभूतियों का प्रयोग कोलैटरल के रूप में करते हुए, विशेष प्रतिभूतियाँ जारी की गयी हैं।

(डी) संसद के अधिनियम से गठित कोई भी अखिल भारतीय वित्तीय संस्था यथा- एक्सिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और राष्ट्रीय अवसंरचना एवं विकास वित्तपोषण बैंक और

(ई) इस प्रयोजन के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अनुमोदित कोई भी संस्था।

5. समयावधि

न्यूनतम एक दिन की अवधि और अधिकतम एक साल की अवधि हेतु रेपो किये जाएंगे।

6. तृतीय पक्ष एजेंट

तृतीय पक्ष एजेंट हेतु पात्रता मानदंड, नियम और दायित्व, आवेदन पद्धति और निष्कासन पद्धति इन निदेशों के अनुलग्नक-1 में दी गयी है।

7. ट्रेडिंग स्थल

रेपो संव्यवहारों के सौदे किसी भी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा विधिवत प्राधिकृत ईटीपी पर अथवा ओवर-द-काउंटर बाजार में किये जा सकते हैं। लेकिन मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों सहित किसी भी ट्रेडिंग प्लेटफार्म पर रेपो सौदे करने के लिए रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति आवश्यक है।

8. ट्रेडिंग प्रक्रिया

रेपो संव्यवहारों, तृतीय पक्ष रेपो संव्यवहारों सहित, में आपस में सहमत किसी भी ट्रेडिंग प्रक्रिया का प्रयोग किया जा सकता है, इस प्रक्रिया में द्विपक्षीय अथवा बहुपक्षीय, भाव-आधारित अथवा आर्डर-आधारित प्रक्रियाएँ, अज्ञात अथवा अन्य प्रकार शामिल हैं, लेकिन यह केवल इन्हीं प्रक्रियाओं तक सीमित नहीं है।

9. सौदों की रिपोर्टिंग

(1) मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों अथवा अनुमोदित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्मों, जो प्लेटफार्म पर सौदों की जानकारी प्रसारित करते हैं, को छोड़कर, सभी रेपो संव्यवहार सौदा होने के 15 मिनट के भीतर इसकी रिपोर्ट करेंगे- कार्पोरेट प्रतिभूतियों में रेपो की रिपोर्टिंग F-TRAC रिपोर्टिंग प्लेटफार्म पर और सरकारी प्रतिभूतियों में रेपो सौदे की रिपोर्टिंग क्लियरकॉर्प रेपो ऑर्डर मैचिंग सिस्टम (CROMS) पर अलग- अलग की जाएगी।

(2) रेपो संव्यवहारों हेतु मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों सहित सभी ट्रेडिंग और रिपोर्टिंग प्लेटफार्म अपना डेटा अथवा अन्य जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक को या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा यथाअपेक्षानुसार किसी अन्य संस्था को प्रदान करेंगे।

(3) इन निदेशों के तहत रेपो संव्यवहारों के प्रतिभागी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा माँगी गयी कोई भी जानकारी अथवा डेटा उस निर्धारित अवधि में प्रस्तुत करेंगे जो जानकारी अथवा डेटा प्रस्तुत करने के लिए सहभागी को लिखे पत्र/मेल में निर्धारित है।

10. सौदों का निपटान

(1) इन निदेशों के तहत सौदों का निपटान इस प्रकार किया जाएगा-

(ए) सभी रेपो संव्यवहारों का प्रथम चरण T+0 अथवा T+1 आधार पर निपटाया जाएगा।

(बी) सभी रेपो संव्यवहारों का निपटान सुपुर्दगी बनाम भुगतान आधार पर किया जाएगा।

(सी) सरकारी प्रतिभूतियों के सभी रेपो सीसीआईएल या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित किसी अन्य क्लीयरिंग एजेंसी के माधयम से निपटाए जाएंगे।

(डी) कॉर्पोरेट बॉन्ड और ऋणपत्रों में किये गए सभी रेपो का निपटान एक्सचेंजों के क्लीयरिंग हाउस अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित किसी अन्य संस्था के माध्यम से किया जाएगा।

11. रेपोकृत प्रतिभूति का विक्रय और प्रतिस्थापन

(1) रेपो के तहत खरीदी गयी प्रतिभूतियाँ-

(ए) एकमुश्त (आउटराइट) संव्यवहार अथवा किसी अन्य रेपो संव्यवहार के माध्यम से ऑन-सोल्ड की जाएँ। रेपो के तहत अधिग्रहीत प्रतिभूतियों की एकमुश्त बिक्री केवल उसी संस्था द्वारा की जाएगी, जो भारतीय रिज़र्व बैंक के संगत निदेशों के तहत शॉर्ट-विक्रय करने की पात्र है और उन्हीं प्रतिभूतियों में की जाएगी जिनके शॉर्ट-विक्रय के अनुमति है।

(बी) किसी भी अनुमोदित क्लीयरिंग एजेंसी के नियमों के अनुसार किसी दूसरी प्रतिभूति से प्रतिस्थापित के जाएगी।

12. कोलैटरल की कीमत लगाना, हेयरकट और मार्जिन तय करना

(1) इन निदेशों के तहत रेपो संव्यवहारों के मामले में-

(ए) रेपो के प्रथम चरण में कोलैटरल का कीमत निर्धारण प्रचलित बाजार कीमतों पर पारदर्शी रूप से किया जायगा।

(बी) द्वितीय चरण की कीमतों का निर्धारण प्रथम चरण की कीमत में ब्याज जोड़ कर किया जाएगा।

(सी) रेपो संव्यवहारों का नियंत्रण करने वाले प्रलेखों के अनुसार हेयरकट / मार्जिन का निर्णय क्लीयरिंग हॉउस द्वारा अथवा दोनों पक्षों के बीच सहमति के साथ किया जा सकता है - जिस पर निम्नलिखित शर्तें लागू होंगी-:

  1. सूचीबद्ध कार्पोरेट बॉन्ड और ऋणपत्रों पर बाजार मूल्य का न्यूनतम 2 प्रतिशत हेयरकट रहेगा। प्रतिभूति की समयावधि और अतरलता के आधार पर अतिरिक्त हेयरकट लिया जा सकता है।

  2. सीपी और सीडी के साथ बाजार मूल्य का न्यूनतम 1.5 प्रतिशत हेयरकट रहेगा।

  3. स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा निर्गत प्रतिभूतियों पर बाजार मूल्य का न्यूनतम 2 प्रतिशत हेयरकट रहेगा। प्रतिभूति की समयावधि और अतरलता के आधार पर अतिरिक्त हेयरकट लिया जा सकता है।

13. लेखांकन, प्रस्तुति, मूल्यांकन और प्रकटीकरण

(1) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं द्वारा रेपो का लेखांकन अनुलग्नक-II में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा।

(2) अन्य पात्र सहयोगी रेपो संव्यवहारों का लेखांकन अनुमेय लेखांकन के अनुसार करें।

14. नकद आरक्षित निधि अनुपात (सीआरआर) / सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) और उधार लेने की सीमा की गणना

(1) सरकारी प्रतिभूतियों में तृतीय-पक्ष रेपो सहित रेपो के तहत उधार ली गयी निधियों को सीआरआर/एसएलआर आकलन से छूट दी जाएगी और रेपो के तहत अधिगृहीत की गई प्रतिभूति एसएलआर की पात्र होगी, बशर्ते यह प्रतिभूति प्राथमिक रूप से उस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार एसएलआर के लिए पात्र हो, जिसके तहत इसे बरकरार रखना अपेक्षित है।

(2) किसी बैंक द्वारा रेपो के माध्यम से कार्पोरेट बॉन्ड और ऋणपत्रों पर लिए गए उधारों को नकद आरक्षित निधि अनुपात / सांविधिक चलनिधि अनुपात की अपेक्षाओं के लिए देयता के रूप में लिया जाएगा और उस सीमा तक लिया जाएगा जितनी सीमा तक ये बैंकिंग प्रणाली के लिए देयता हैं, और इनका निवल निर्धारण (नेटिंग) भारतीय रिज़र्व बैंक अधनियम, 1934 की धारा 42(1) के अनुसार किया जाएगा।

15. प्रलेखन

(1) एफआईएमएमडीए द्वारा अंतिम रूप दिए गए प्रलेखन के अनुसार ही, प्रतिभागी मानक द्विपक्षीय मास्टर रेपो समझौते करेंगे।

(2) बहुपक्षीय ट्रेडिंग प्लेटफार्म पर सौदा किये गए रेपो संव्यवहारों का नियंत्रण उस प्लेटफार्म के नियमों और विनियमों के अनुसार किया जाएगा, जिन पर इनका सौदा किया गया है।

(3) तृतीय पक्ष रेपो के मामले में सहभागी और तृतीय पक्ष एजेंट द्वारा निर्धारित प्रलेखों के अनुसार अलग से समझौता किया जायगा।

16. रेपो संव्यवहार के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उन पूर्ववर्ती परिपत्रों की सूची अनुलग्नक-III में दी गयी है जिन्हें इसके तहत निरस्त कर दिया गया है और वापस ले लिया गया है।

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुलग्नक III

ए) मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (पुनर्खरीद संव्‍यवहार (रेपो)) निदेश, 2025 द्वारा अधिक्रमित किए गए परिपत्रों/निदेशों की सूची:

  1. पुनर्खरीद संव्यवहार (रेपो) (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 दिनांकित 24 जुलाई, 2018

  2. पुनर्खरीद संव्यवहार (रेपो) (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 - संशोधन दिनांकित 28 नवंबर, 2019

  3. वित्तीय बाज़ारों में एआईएफ़आई के रूप में एनएबीएफ़आईडी की सहभागिता – दिनांकित 01 जनवरी, 2025

बी) पुनर्खरीद संव्यवहार (रेपो) (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 दिनांकित 24 जुलाई, 2018 द्वारा अधिक्रमित किए गए परिपत्रों/निदेशों की सूची:

  1. परिपत्र सं. आईडीएमसी/पीडीआरएस/3432/10.02.01/2002-03 दिनांक फरवरी 21, 2003.

  2. परिपत्र सं. आईडीएमडी/पीडीआरएस/4779/10.02.01/2004-05 दिनांक मई 11, 2005.

  3. परिपत्र सं. आईडीएमडी.डीओडी.No.334/11.08.36/2009-10 दिनांक जुलाई 20, 2009

  4. परिपत्र सं. आईडीएमडी.डीओडी.No.04/11.08.38/2009-10 दिनांक जनवरी 8, 2010.

  5. परिपत्र सं. आईडीएमडी.डीओडी.No.05/11.08.38/2009-10 दिनांक जनवरी 8, 2010.

  6. परिपत्र सं. आईडीएमडी/4135/11.08.43/2009-10 दिनांक मार्च 23, 2010.

  7. परिपत्र सं. आईडीएमडी.डीओडी.08/11.08.38/2009-10 दिनांक अप्रैल 16, 2010.

  8. परिपत्र सं. आईडीएमडी.पीसीडी.सं.21/11.08.38/2010-11 दिनांक नवम्‍बर 9, 2010.

  9. परिपत्र सं. आईडीएमडी.पीसीडी.No.22/11.08.38/2010-11 दिनांक नवम्‍बर 9, 2010.

  10. परिपत्र सं. आईडीएमडीसं./29/11.08.043/2010-11 दिनांक मई 30, 2011.

  11. परिपत्र सं. आईडीएमडी.पीसीडी.1423/14.03.02/2012-13 दिनांक अक्‍तूबर 30, 2012.

  12. परिपत्र सं. आईडीएमडी.पीसीडी.08/14.03.02/2012-13 दिनांक जनवरी 4, 2013.

  13. परिपत्र सं. आईडीएमडी.पीसीडी.सं.08/14.03.02/2012-13 दिनांक जनवरी 7, 2013.

  14. परिपत्र सं. आईडीएमडी.पीसीडी.सं.09/14.03.02/2012-13 दिनांक जनवरी 7, 2013.

  15. परिपत्र सं. आईडीएमडी.पीसीडी.13/14.01.02/2013-14 दिनांक जून 25, 2014.

  16. परिपत्र सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.3/14.03.002/2014-15 दिनांक फरवरी 03, 2015.

  17. परिपत्र सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.4/14.03.002/2014-15 दिनांक फरवरी 03, 2015.

  18. परिपत्र सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.5/14.03.002/2014-15 दिनांक फरवरी 05, 2015.

  19. परिपत्र सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.07/14.03.002/2014-15 दिनांक मई 14, 2015.

  20. परिपत्र सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.08/14.03.002/2014-15 दिनांक मई 14, 2015.

  21. परिपत्र सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.4/14.01.009/2016-17 दिनांक अगस्‍त 25, 2016.

  22. परिपत्र सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.5/14.01.009/2016-17 दिनांक अगस्‍त 25, 2016.

  23. परिपत्र सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.6/14.03.002/2016-17 दिनांक अगस्‍त 25, 2016.

  24. परिपत्र सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.4/14.03.024/2017-18 दिनांक अगस्‍त 10, 2017.

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