14 नवंबर 2025
व्यापार राहत उपाय
रिज़र्व बैंक ने वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण निर्यात पर होने वाली व्यापार रुकावटों के प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं।
ए. सामान/सॉफ्टवेयर/सेवाओं के निर्यात से प्राप्त होने वाली राशि की वसूली और प्रत्यावर्तन तथा निर्यात के बदले अग्रिम भुगतान संबंधी फेमा विनियम
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भारत से निर्यात किए गए सामान/सॉफ्टवेयर/सेवाओं के पूर्ण निर्यात मूल्य की वसूली और प्रत्यावर्तन के लिए समयावधि को, भारत से निर्यात की तिथि से नौ महीने से बढ़ाकर पंद्रह महीने करना;
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अग्रिम भुगतान प्राप्त होने की तारीख से सामान के लदान की समयावधि को एक वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष करना या करार के अनुसार, जो भी बाद में हो।
बी. भारतीय रिज़र्व बैंक (व्यापार राहत उपाय) निदेश, 2025
(i) विशेष प्रभावित क्षेत्र पर ऋण चुकाने का बोझ कम करना:
(ए) 1 सितंबर 2025 और 31 दिसंबर 2025 के बीच देय सभी मीयादी ऋणों के भुगतान पर अधिस्थगन / आस्थगन तथा सभी कार्यशील पूंजी हेतु ऋणों पर ब्याज की वसूली, जैसा लागू हो।
(बी) उधारदाताओं को उपर्युक्त अवधि के दौरान मार्जिन को कम करके या आधार पुनर्मूल्यांकन के माध्यम से कार्यशील पूंजी सुविधाओं में 'आहरण शक्ति' की पुनर्गणना करने की अनुमति।
(ii) निर्यात ऋण के पुनर्भुगतान में छूट
(ए) 31 मार्च 2026 तक संवितरित लदान- पूर्व और लदान-बाद निर्यात ऋण के लिए अधिकतम ऋण अवधि को 270 दिन से बढ़ाकर 450 दिन करना।
(बी) उधारदाताओं को निर्यातकों द्वारा 31 अगस्त 2025 को या उससे पहले ली गई पैकिंग ऋण सुविधाओं को समाप्त करने की अनुमति देना, जहाँ किसी भी वैध अन्य स्त्रोत से सामान का प्रेषण नहीं हो सका। साथ ही, ऐसे सामान की घरेलू बिक्री से प्राप्त राशि या किसी दूसरे निर्यात ऑर्डर से प्राप्त राशि के स्थान पर संविदा को बदलना भी शामिल है।
ये दिशा-निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
(ब्रिज राज)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/1510 |