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विदेशी मुद्रा प्रबंधक

भारतीय रुपए के बाहरी मूल्‍य के निर्धारण के लिए बाज़ार-आधारित प्रणाली में परिवर्तन के साथ विदेशी मुद्रा बाज़ार ने सुधार अवधि की शुरुआत से ही भारत में ज़ोर पकड़ा है।

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विदेशी मुद्रा प्रबंध (उधार लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2018 के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार ढांचे का मसौदा

3 अक्तूबर 2025

विदेशी मुद्रा प्रबंध (उधार लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2018 के अंतर्गत बाह्य
वाणिज्यिक उधार ढांचे का मसौदा

दिनांक 1 अक्तूबर 2025 को जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में किए गए घोषणा के अनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि फेमा, 1999 के अंतर्गत जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (उधार लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2018 में शामिल बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) से संबंधित विनियमों को युक्तिसंगत बनाया जाए। प्रस्तावित विनियमों की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं:

क) उधार लेने की सीमा को उधारकर्ता की वित्तीय क्षमता से जोड़ने का प्रस्ताव है तथा ईसीबी को बाजार द्वारा निर्धारित ब्याज दरों पर जुटाने का प्रस्ताव है।

ख) अंतिम उपयोग प्रतिबंधों और न्यूनतम औसत परिपक्वता आवश्यकताओं को सरल बनाने का प्रस्ताव है।

ग) ऋण प्रवाह के अवसरों को बढ़ाने के लिए ईसीबी लेनदेन के लिए पात्र उधारकर्ता और ऋणदाता आधार का विस्तार करने का प्रस्ताव है।

घ) अनुपालन दायित्वों को आसान बनाने के लिए रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को सरल बनाया जा रहा है।

ईसीबी ढांचे से संबंधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (उधार लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2018 में संशोधन का मसौदा जन सामान्य से प्रतिक्रिया के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

विनियमावली के मसौदा पर टिप्पणियां/ प्रतिक्रिया आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध ‘कनेक्ट 2 रेगुलेट’ खंड के अंतर्गत संबंधित लिंक के माध्यम से प्रस्तुत की जा सकती हैं या 24 अक्तूबर 2025 तक “ईसीबी ढांचे के मसौदे पर प्रतिक्रिया” विषय पंक्ति के साथ ईमेल के माध्यम से भेजी जा सकती हैं।

अजीत प्रसाद    
उप महाप्रबंधक (संचार)

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/1235

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