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विदेशी मुद्रा प्रबंधक

भारतीय रुपए के बाहरी मूल्‍य के निर्धारण के लिए बाज़ार-आधारित प्रणाली में परिवर्तन के साथ विदेशी मुद्रा बाज़ार ने सुधार अवधि की शुरुआत से ही भारत में ज़ोर पकड़ा है।

प्रेस प्रकाशनी


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बाह्य व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना - विनियमों में संशोधन

13 अक्तूबर 2025

बाह्य व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना - विनियमों में संशोधन

दिनांक 1 अक्तूबर 2025 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में की गई घोषणा के अनुसार तथा 'बाह्य व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाने' की दिशा में निरंतर प्रयासों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रबंध (उधार लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2018 और विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली, 2015 में निम्नलिखित संशोधन किए हैं।

क. भारत में प्राधिकृत व्यापारी बैंकों और उनकी विदेशी शाखाओं को सिमा-पारीय व्यापार लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए भूटान, नेपाल और श्रीलंका में रहने वाले व्यक्तियों, इन क्षेत्राधिकारों के बैंकों सहित, को भारतीय रुपये में उधार देने की अनुमति दी गई है [दिनांक 6 अक्तूबर 2025 को जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (उधार लेना तथा उधार देना) (संशोधन) विनियमावली, 2025]।

ख. जनवरी 2025 में, रिज़र्व बैंक ने भारतीय निर्यातकों को निर्यात आय की प्राप्ति हेतु भारत के बाहर किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाते खोलने की अनुमति दी थी। इन खातों में अप्रयुक्त शेष राशि को प्राप्ति की तिथि के अगले महीने के अंत तक प्रत्यावर्तित करना आवश्यक है। अब यह निर्णय लिया गया है कि भारत में आईएफ़एससी के अंतर्गत किसी बैंक में रखे गए विदेशी मुद्रा खातों के मामले में प्रत्यावर्तन की अवधि तीन महीने तक बढ़ा दी जाएगी। [दिनांक 6 अक्तूबर 2025 को जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) (सातवाँ संशोधन) विनियमावली, 2025]।

इन परिवर्तनों को प्रभावी करने के लिए मास्टर निदेश - माल और सेवाओं का निर्यात तथा मास्टर निदेश – जमा राशियां और खाते में निहित निदेशों को भी तदनुसार संशोधित किया गया है।

(ब्रिज राज)   
मुख्य महाप्रबंधक

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