7 नवंबर 2025
भारत: वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन कार्यक्रम, 2024
वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन कार्यक्रम (एफ़एसएपी), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) और विश्व बैंक (डब्ल्यूबी) का एक संयुक्त कार्यक्रम है, जो किसी देश के वित्तीय क्षेत्र का व्यापक और गहन विश्लेषण करता है। सितंबर 2010 से, यह प्रक्रिया प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण वित्तीय क्षेत्रों वाले क्षेत्राधिकारों के लिए अनिवार्य हो गई है। वर्तमान में, भारत सहित 32 क्षेत्राधिकारों के लिए यह प्रत्येक पाँच वर्ष में और अन्य 15 क्षेत्राधिकारों के लिए यह प्रत्येक दस वर्ष में किया जाना अनिवार्य है। परंपरा के अनुसार, एफ़एसएपी के अंतिम भाग के रूप में, आईएमएफ़ वित्तीय प्रणाली स्थिरता आकलन (एफ़एसएसए) रिपोर्ट और विश्व बैंक वित्तीय क्षेत्र आकलन (एफ़एसए) रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। भारत के लिए पिछला एफ़एसएपी वर्ष 2017 में आयोजित किया गया था। एफ़एसएसए रिपोर्ट आईएमएफ़ द्वारा दिसंबर 2017 में और एफ़एसए रिपोर्ट विश्व बैंक द्वारा दिसंबर 2017 में प्रकाशित की गई थी।
2. 2024 के दौरान किए गए आकलन के आधार पर, विश्व बैंक ने 30 अक्तूबर 2025 को अपनी वेबसाइट पर भारत-एफएसए रिपोर्ट जारी की है। आईएमएफ ने पहले ही 28 फरवरी 2025 को अपनी वेबसाइट पर भारत-एफएसएसए रिपोर्ट जारी कर दी थी।
3. भारत, आईएमएफ-विश्व बैंक की संयुक्त टीम द्वारा वित्तीय क्षेत्र के मूल्यांकन का स्वागत करता है।
4. विश्व बैंक की एफ़एसए रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि 2017 में पिछले एफ़एसएपी रिपोर्ट के बाद से भारत की वित्तीय प्रणाली अत्यंत सुदृढ़, विविधीकृत और समावेशी हो गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा किया गया है कि वित्तीय क्षेत्र में सुधारों ने भारत को 2010 के दशक के विभिन्न संकटों और महामारी से उबरने में मदद की है। रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि 2047 तक 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निजी पूंजी जुटाने को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को और गति देने की आवश्यकता है।
5. बैंकों और एनबीएफसी के विनियमन और पर्यवेक्षण के संबंध में, विश्व बैंक ने सहकारी बैंकों पर भारत द्वारा विनियामक प्राधिकरण के विस्तार, प्रमुख विवेकपूर्ण नियमों को कड़ा करने और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए विनियमन एवं पर्यवेक्षण विभागों के पुनर्गठन की सराहना की। विश्व बैंक ने एनबीएफसी के लिए पैमाने-आधारित विनियमन की सराहना की, जो इस विविध उद्योग की विभिन्न आवश्यकताओं को ध्यान में रखता है। विश्व बैंक ने बैंकों और एनबीएफसी के बेहतर पर्यवेक्षण के लिए ऋण जोखिम प्रबंधन ढाँचे को और मज़बूत करने की अनुशंसा की है।
6. विश्व बैंक ने स्वीकार किया कि प्रतिभूति बाजारों में निगरानी सुदृढ़ रही है, जिसके लिए निवेशकों के लिए संपार्श्विक प्रबंधन और कारोबार निरंतरता को बढ़ाना, टिकाऊ निवेश के लिए रूपरेखा, म्यूचुअल फंड चलनिधि आवश्यकताएं और कॉर्पोरेट ऋण बाजार विकास निधि (सीडीएमडीएफ) जैसे सुधार किए गए। विश्व बैंक ने आचरण जोखिमों (विशेष रूप से म्यूचुअल फंडों के लिए) की निगरानी के लिए एकीकृत पद्धति के विकास और स्व-विनियामक संगठनों के मानकों को मजबूत करने के माध्यम से बेहतर निगरानी के लिए आगे का मार्ग दिखाया है।
7. विश्व बैंक ने स्वीकार किया कि भारत के विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे और सरकारी कार्यक्रमों ने पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए वित्तीय सेवाओं की व्यापक शृंखला तक पहुँच में उल्लेखनीय सुधार किया है। विशेष रूप से महिलाओं के लिए खाता उपयोग को और बढ़ावा देने, तथा व्यक्तियों और एमएसएमई के लिए वित्तीय उत्पादों की व्यापक शृंखला तक पहुँच को सुगम बनाने के सुझाव दिए गए हैं।
8. एफएसए रिपोर्ट स्वीकार करती है कि भारत का बीमा क्षेत्र विकास समकक्षों के अनुरूप रहा है। विश्व बैंक के श्रेणीबद्ध मूल्यांकन में बीमा के मूल सिद्धांतों (आईसीपी) के अनुपालन का समग्र रूप से सुदृढ़ स्तर पाया गया, जो वैश्विक सर्वोत्तम पद्धतियों और एक आघात सह बीमा क्षेत्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। रिपोर्ट में लाइसेंसिंग, उपयुक्तता आवश्यकताओं, प्रवर्तन शक्तियों और सार्वजनिक प्रकटीकरण को मज़बूत क्षेत्रों के रूप में उल्लिखित किया गया है।
9. जलवायु जोखिम विश्लेषण के अंतर्गत, विश्व बैंक ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कृषि और बैंकिंग क्षेत्र अल्पकालिक जलवायु आघातों के प्रति आघात सह बने हुए हैं, तथापि विस्तृत आँकड़े और अनुकूलन उपायों की आवश्यकता है, क्योंकि स्थानीय जोखिम, दीर्घकालिक कृषि आघात और कठिन निम्न-कार्बन संक्रमण अभी भी वित्तीय दबाव बढ़ा सकते हैं। उन्होंने एक धारणीय वित्त रोडमैप और एक राष्ट्रीय जलवायु वित्त वर्गीकरण विकसित करने सहित जलवायु संबंधी निवेश को बढ़ाने की सिफारिश की। इससे घरेलू निवेशकों को मदद मिल सकती है।
10. विश्व बैंक ने उल्लेख किया कि भारतीय प्राधिकरणों ने ऋण अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए ठोस प्रयास किए हैं, जिसमें दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता 2016 (आईबीसी) और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी न्यायालय से बाहर समाधान ढाँचे को लागू करना और सुदृढ़ करना शामिल है। इसमें कहा गया है कि एमएसएमई क्षेत्र को वित्त पोषण में वृद्धि हो रही है, जिसे आरबीआई-विनियमित फैक्टरिंग प्लेटफॉर्म (टीआरईडीएस) के अंतर्गत विकासशील फैक्टरिंग प्रणाली और प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) ढांचे का समर्थन प्राप्त है। एमएसएमई क्षेत्र को ऋण में और वृद्धि के लिए, विश्व बैंक ने एमएसएमई डेटा ऑब्जर्वेटरी की स्थापना के साथ-साथ मांग पक्ष के आंकड़ों सहित व्यापक एमएसएमई ऋण आंकड़ों की निगरानी और प्रकाशन की सिफारिश की है।
11. भारत के पूंजी बाजारों के लिए, विश्व बैंक ने उल्लेख किया है कि पिछले एफएसएपी के बाद से पूंजी बाजार (इक्विटी, सरकारी बॉण्ड और कॉर्पोरेट बॉण्ड) जीडीपी के 144 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 175 प्रतिशत हो गया है। इस वृद्धि को एक मजबूत पूंजी बाजार बुनियादी ढांचे और विविध निवेशक आधार का समर्थन प्राप्त है। रिपोर्ट में और अधिक पूंजी जुटाने के लिए ऋण वृद्धि तंत्र, जोखिम साझाकरण सुविधाएँ और प्रतिभूतिकरण प्लेटफ़ॉर्म विकसित करने का सुझाव दिया गया है।
12. भारत एफएसएपी के मामले में सिफारिशें मुख्य रूप से वित्तीय प्रणाली की संरचना और कार्यप्रणाली में और सुधार लाने पर केंद्रित हैं। कई विस्तृत सिफारिशें, संबंधित प्राधिकरणों/ विनियामकों की अपनी विकास योजनाओं के अनुरूप हैं। भारत, जहाँ भी आवश्यक हो, घरेलू आवश्यकताओं और आर्थिक स्थितियों के अनुरूप, उपयुक्त तरीके से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत मानकों और सर्वोत्तम पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
विश्व बैंक द्वारा जारी एफएसए को यहां देखा जा सकता है: https://documents.worldbank.org/en/publication/documents-reports/documentdetail/099103025110514063
आर्थिक मामलों का विभाग, वित्त मंत्रालय (एमओएफ), भारत सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति यहां देखी जा सकती है: https://dea.gov.in/files/press_release_documents/Draft%20Press%20Release%20-Oct%2021.pdf
(ब्रिज राज)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/1463 |