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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


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सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम

(29 जुलाई 2025 तक अद्यतन)

प्र.1. एमएसएमई की परिभाषा क्या है?

भारत सरकार के 21 मार्च 2025 के राजपत्र अधिसूचना एस.ओ.1364(अ) के अनुसार किसी उद्यम को निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर सूक्ष्म, लघु या मध्यम उद्यम के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, अर्थात:

  1. ऐसा सूक्ष्म उद्यम जहां संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर में विनिधान 2.5 करोड़ से अधिक नहीं है और आवर्तन 10 करोड़ से अधिक नहीं है;

  2. ऐसा लघु उद्यम जहां संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर में विनिधान 25 करोड़ से अधिक नहीं है और आवर्तन 100 करोड़ से अधिक नहीं है; और

  3. ऐसा मध्यम उद्यम जहां संयंत्र और मशीनरी या उपस्कर में विनिधान 125 करोड़ से अधिक नहीं है और आवर्तन 500 करोड़ से अधिक नहीं है।

ऐसे सभी उद्यमों को उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकृत करना और ‘उद्यम पंजीकरण प्रमाण-पत्र‘ प्राप्त करना आवश्यक है। जहां तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के ऋण (पीएसएल) प्रयोजनों का सवाल है बैंकों को उद्यम पंजीकरण प्रमाण-पत्र (यूआरसी) में रिकॉर्ड किए गए वर्गीकरण का पालन करना होगा। (24 जुलाई 2017 का मास्‍टर निदेश विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 और 28 दिसंबर 2023 का परिपत्र एफआईडीडी.एमएसएमई व एनएफएस.बीसी.सं.13/06.02.31/2023-24 को देखें)

प्र.2. उन उद्यमों के लिए क्या उपाय किए गए हैं जो उद्यम पंजीकरण पोर्टल (यूआरपी) पर स्थायी खाता संख्या (पैन) या माल और सेवा कर पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) जैसे अनिवार्य अपेक्षित दस्तावेजों के न होने के कारण पंजीकृत करा लेने में असमर्थ हैं?

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने उद्यम सहायता प्रमाण-पत्र को ऑनलाइन जनरेट करने के जरिए अनौपचारिक सूक्ष्य उद्यमों (आईएमई) को औपचारिक रूप देने की दृष्टि से उद्यम सहायता प्लॉटफार्म (यूएपी) की शुरुआत की है। एमएसएमई मंत्रालय ने आईएमई की परिभाषा निम्नानुसार दी है – ऐसे उद्यम जिन्हें अपने आवर्त के आधार पर केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 के उपबंधों के अंतर्गत विवरणियां दाखिल करने से छूट दी गई है।

यूएपी का प्रबंधन-कार्य सिडबी द्वारा किया जाता है जहां प्लेटफॉर्म पर उद्यमों का पंजीकरण ऐसी नामित एजेंसियों की सहायता से किया जाता है जो आरबीआई विनियमित संस्थाएं (अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों आदि सहित) हैं। यूएपी पर आईएमई को जारी प्रमाण-पत्र पीएसएल लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से यूआरसी के बराबर माना जाता है। उद्यम सहायता प्रमाण-पत्र रखने वाले आईएमई को पीएसएल वर्गीकरण के उद्देश्य से सूक्ष्म उद्यमों के रूप में माना जाता है। (कृपया 24 जुलाई 2017 का मास्‍टर निदेश मास्‍टर निदेश विसविवि.एमएसएमई व एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 तथा 09 मई 2023 का विसविवि.एमएसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.09/06.02.31/2023-24 देखें)

मूल कारण: 09 मई, 2025 को 'उद्यम सहायता प्लॉटफार्म पर अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों का औपचारिक बनाया जाना' पर परिपत्र में शामिल पहलुओं को शामिल करने के लिए, ऊपर बताए अनुसार एक नया प्रश्न प्रस्तावित किया गया है।

प्र.3. एमएसएमई क्षेत्र को उधार देने के संबंध में आरबीआई द्वारा क्या दिशानिर्देश जारी किए गए हैं?

24 मार्च 2025 के मास्‍टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2025 के अनुसार, एमएसएमई को दिए जाने वाले सभी बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण (पीएसएल) के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए पात्र होंगे। एमएसएमई की परिभाषा 24 जुलाई 2017 के मास्टर निदेश – एमएसएमई क्षेत्र को उधार विसविवि.एमएसएमई व एनएफएस.12/06.02.31/2017-18, जिसे समय-समय पर अद्यतन किया जाता है, में दी गई परिभाषा के अनुसार होगी। पीएसएल वर्गीकरण प्रयोजनों के लिए, बैंकों को उद्यम पंजीकरण प्रमाण-पत्र (यूआरसी)/ उद्यम सहायता प्रमाण-पत्र (यूएसी) में दर्ज वर्गीकरण का पालन करना होगा।

इसके अतिरिक्त, आरबीआई ने एमएसएमई क्षेत्र को ऋण देने के संबंध में बैंकों को समय-समय पर कई अनुदेश/ दिशानिर्देश जारी किए हैं। 24 जुलाई, 2017 के मास्टर निदेश एफआईडीडी एमएसएमई व एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 में इस विषय पर अद्यतन अनुदेश/ दिशानिर्देश शामिल किए गए हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विभिन्न मामलों पर बैंकों को जारी किए गए अनुदेश हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध हैं।

प्र.4. क्या खुदरा और थोक व्यापार को एमएसएमई के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है?

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने 02 जुलाई 2021 के कार्यालय ज्ञापन संख्या 5/2(2)/2021-ई/पी एंड जी/नीति के माध्यम से खुदरा और थोक व्यापारों को, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को दिए जाने वाले उधार के सीमित प्रयोजन की दृष्टि से एमएसएमई को शामिल करने और उन्हें उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकृत करा लेने की अनुमति देने का निर्णय लिया। इस विषय पर विस्तृत दिशानिर्देश 07 जुलाई 2021 के हमारे परिपत्र एफआईडीडी.एमएसएमई व एनएफएस.सं. 13/06.02.31/2021-22 में दिए गए हैं।

प्र.5. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार का क्या अर्थ है?

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के हिस्से के रूप में केवल वे क्षेत्र शामिल हैं जो आबादी के बड़े हिस्से, कमजोर वर्गों और रोजगार-प्रधान क्षेत्रों जैसे कृषि, तथा सूक्ष्म और लघु उद्यमों को प्रभावित करते हैं। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार पर विस्तृत दिशानिर्देश 24 मार्च 2025 के हमारे मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण) निदेश, 2025 में उपलब्ध हैं और समय-समय पर अद्यतन किए जाते हैं।

प्र.6. क्या बैंकों द्वारा एमएसएमई को उधार देने के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं?

घरेलू वाणिज्यिक बैंकों, 20 और उससे अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों के लिए समग्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के तहत सूक्ष्म (माइक्रो) उद्यमों को उधार देने के लिए समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) या तुलनपत्र वाह्य एक्सपोजर के समतुल्य ऋण (सीईओबीई), जो भी अधिक हो, का 7.5 प्रतिशत का उप-लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

प्र.7. बैंक उधारकर्ताओं की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं का आंकलन कैसे करते हैं?

बैंकों को सूचित किया गया है कि वे अपने निदेशक मंडल द्वारा विधिवत अनुमोदित एमएसई क्षेत्र के लिए ऋण सुविधाएं प्रदान करने वाली ऋण नीतियां बनाएं (दिनांक 04 मई 2009 के परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.102/06.04.01/2008-09 को देखें)। तथापि, बैंकों को सूचित किया गया है कि वे उधारकर्ताओं के व्यापार चक्र और अल्पकालिक ऋण आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उनकी वास्तविक कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के उचित मूल्यांकन के बाद ऋण सीमाओं को मंजूरी दें। नायक समिति की रिपोर्ट के अनुसार, लघु उद्योग इकाइयों के लिए कार्यशील पूंजी सीमा की गणना उनके अनुमानित कुल कारोबार के न्यूनतम 20% के आधार पर 5 करोड़ की क्रेडिट सीमा तक की जाती है।

प्र.8. क्या बैंकों द्वारा सम्मिश्र ऋण प्रदान करने का कोई प्रावधान है?

माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार पर दिनांक 24 जुलाई 2017 के हमारे मास्टर निदेश के अनुसार बैंकों द्वारा 1 करोड़ तक की संमिश्र ऋण सीमा स्वीकृत की जा सकती है ताकि एमएसई उद्यमी एक ही स्थान पर अपनी कार्यशील पूंजी और मीयादी ऋण संबंधी आवश्यकता को प्राप्त कर सकें। सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को हमारे दिनांक 4 मई 2009 के परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई एंड एनएफएस.बीसी.सं.102/06.04.01/2008-09 द्वारा सूचित किया गया था कि जिन बैंकों ने एकल या संयुक्त रूप से मीयादी ऋण स्वीकृत किया है, उन्हें एकल रूप से (या संयुक्त रूप से, मीयादी ऋण के अनुपात में) कार्यशील पूंजी (डब्ल्यूसी) सीमा को भी मंजूरी देनी चाहिए ताकि वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने में देरी से बचा जा सके और यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी मामला ऐसा नहीं है जहां मीयादी ऋण स्वीकृत किया गया हो परंतु कार्यशील पूंजी सुविधाएं अभी तक स्वीकृत नहीं हुई हो।

प्र.9. क्लस्टर फाइनेंसिंग क्या है?

एमएसएमई क्षेत्र को उधार देने से संबंधित 24 जुलाई 2017 के मास्टर निदेश के अनुसार क्लस्टर की परिभाषा दी गई है, जिसे एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार अथवा संबंधित राज्य/ संघ-शासित क्षेत्र की सरकारों द्वारा चिह्नित किया गया है। एसएलबीसी/ यूटीएलबीसी संयोजक बैंक अपने पोर्टल पर इन समूहों की सूची प्रदर्शित करेंगे और मार्च के अंत और सितंबर के अंत में उन्हें अर्ध-वार्षिक रूप से अद्यतन करेंगे। एमएसएमई मंत्रालय द्वारा चिह्नित किए गए इन क्लस्टरों की अद्यतन सूची को मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट से एक्सेस किया जा सकता है, जबकि राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मान्यता प्राप्त क्लस्टरों की जानकारी सीधे संबंधित प्राधिकरणों से प्राप्त की जाएगी।

ज़िलों के अग्रणी बैंकों को सूचित किया गया है कि वे जि़ले के भीतर अवस्थित सभी क्लस्टरों में ‘क्रेडिट सहबद्धता‘ को बढ़ावा दें। क्रेडिट सहबद्धता को बढ़ावा देने से संबंधित पहलों के अंतर्गत क्लस्टरों में एमएसई इकाइयों की क्रेडिट संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना, वित्तीय साक्षरता पहलों के माध्यम से एमएसई इकाइयों के बीच जागरूकता पैदा करना, कौशल विकास पहलों का दायरा बढ़ाना और बैंकिंग की अल्प सुविधा-प्राप्त क्लस्टरों में सक्रिय कदम उठाना शामिल हैं।

बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए सूचित किया गया है कि वे शाखा/ खंड स्तरीय ऋण योजनाओं की तैयारी की प्रक्रिया में क्लस्टरों की ऋण संबंधी आवश्यकताओं को समुचित रूप से शामिल किया गया है ताकि अग्रणी बैंकों द्वारा इन्हें समेकित करते हुए जि़ला क्रेडिट योजना (डीसीपी) में और बाद में एसएलबीसी/ यूटीएलबीसी संयोजक बैंकों द्वारा वार्षिक ऋण योजना (एसीपी) में शामिल किया जा सके।

प्र.10. वाणिज्यिक बैंकों द्वारा संवितरित ऋणों के लिए ब्याज दरों पर आरबीआई के दिशानिर्देश क्या हैं?

वित्तीय क्षेत्र के उदारीकरण के अंतर्गत, ब्याज वसूलने सहित बैंकों के सभी ऋण संबंधी मामलों को आरबीआई द्वारा अविनियमित किया गया है और यह बैंकों द्वारा उनकी अपनी उधार नीतियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

मौद्रिक नीति संचारण में सुधार की दृष्टि से, बैंकों को सूचित किया गया है कि वे सूक्ष्म और लघु उद्यमों के ऋणों को 01 अक्टूबर 2019 से एक बाहरी बेंचमार्क से लिंक करें (दिनांक 04 सितंबर 2019 के परिपत्र बैंविवि.डीआईआर.बीसी.सं.14/13.03.00/2019 को देखें)। मौद्रिक नीति दरों के संचारण में और सुधार करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि 01 अप्रैल 2020 से मध्यम उद्यमों को ऋण बाहरी बेंचमार्क से जोड़ा जाएगा। (दिनांक 26 फरवरी 2020 के परिपत्र विवि.डीआईआर.बीसी.सं.39/13.03.00/2019-20 को देखें)

प्र.11. क्या एमएसई उधारकर्ताओं को बैंकों से संपार्श्विक मुक्त ऋण मिल सकता है?

दिनांक 6 मई 2010 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.79/06.02.31/2009-10 के अनुसार, बैंकों को आदेश दिया गया है कि एमएसई क्षेत्र में इकाइयों को 10 लाख तक दिए गए ऋणों के मामलों में संपार्श्विक जमानत स्वीकार न करें।

प्र.12. एमएसई के लिए ऋण गारंटी निधि न्यास योजना क्या है?

एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार और सिडबी ने सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी निधि न्यास (सीजीटीएमएसई) की स्थापना की है ताकि एमएसई क्षेत्र में संपार्श्विक/तृतीय पक्ष गारंटी की आवश्यकता के बिना ऋण के प्रवाह को सुविधाजनक बनाया जा सके। योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि ऋणदाता को परियोजना की व्यवहार्यता को महत्व देना चाहिए और वित्तपोषित परिसंपत्तियों की प्राथमिक जमानत पर ऋण सुविधा को सुरक्षित करना चाहिए। क्रेडिट गारंटी योजना (सीजीएस) ऋणदाता को आश्वस्त करती है कि यदि कोई एमएसई इकाई, जिसने संपार्श्विक-मुक्त ऋण सुविधाओं का लाभ उठाया है, ऋणदाता को अपनी देनदारियां चुकाने में विफल रहता है तो गारंटी ट्रस्ट ऋणदाता को चूक की बकाया राशि के 75-90 प्रतिशत तक नुकसान की भरपाई करेगा।

सीजीटीएमएसई 10 करोड़ तक की ऋण सुविधा के लिए कवर प्रदान करेगा, जिसे उधार देने वाली संस्थाओं द्वारा बिना किसी संपार्श्विक प्रतिभूति और/ या तीसरे पक्ष की गारंटी के दिया गया है। गारंटी कवर का लाभ उठाने के लिए सीजीटीएमएसई द्वारा गारंटी और वार्षिक सेवा शुल्क प्रभारित किया जाता है।

कृपया अधिक जानकारी के लिए कृपया www.cgtmse.in को देखें।

प्र.13. क्या एमएसई उधारकर्ताओं के लिए क्रेडिट रेटिंग अनिवार्य है?

विनियामकीय पूंजी के नजरिए से बाहरी रेटिंग एजेंसियों से क्रेडिट रेटिंग कराया जाना तब तक अनिवार्य नहीं है जब तक किसी प्रतिपक्षकार के लिए कुल अधिकतम एक्सपोजर 7.5 करोड़ की सीमा से अधिक नहीं है, जो क‍ि कतिपय अन्य शर्तों को पूरा करने के अधीन है। (कृपया विनियामकीय खुदरा पोर्टफोलियो - जोखिम भार के लिए संशोधित सीमा संबंधी 12 अक्‍तूबर 2020 का परिपत्र देखें।)

प्र.14. एमएसई उधारकर्ताओं को विलंबित बकाया भुगतान के लिए क्या दिशानिर्देश हैं?

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम (एमएसएमईडी), 2006 के अधिनियमन के साथ, एमएसएमई इकाइयों द्वारा आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के लिए, क्रेताओं द्वारा भुगतान निम्नानुसार किया जाना है:

  1. क्रेता को, उसके और आपूर्तिकर्ता के बीच लिखित रूप में सहमत तारीख को या उससे पूर्व आपूर्तिकर्ता को भुगतान करना होगा और यदि कोई करार नहीं हुआ हो तो नियत दिन से पूर्व भुगतान करना होगा। आपूर्तिकर्ता और क्रेता के बीच की सहमत अवधि 45 (पैंतालीस) दिन से अधिक नहीं होगी।

  2. यदि क्रेता आपूर्तिकर्ता को राशि का भुगतान नहीं कर पाया तो वह राशि पर नियत दिन या निर्धारित तारीख से रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित बैंक दर का तीन गुना चक्रवृद्धी ब्याज, मासिक आधार पर भुगतान करने हेतु बाध्य होगा।

  3. आपूर्तिकर्ता द्वारा माल की आपूर्ति या दी गई सेवा के लिए क्रेता उक्त (ii) में सूचित ब्याज के भुगतान हेतु बाध्य होगा।

  4. किसी देय राशि में विवाद होने पर संबंधित राज्य सरकार द्वारा गठित सूक्ष्‍म और लघु उद्यम सुविधा सेवा परिषद से संपर्क किया जाएगा।

इसके अलावा, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे विशेष रूप से एमएसएमई से की गई खरीद के लिए भुगतान संबंधी दायित्‍व को पूरा करने के लिए बड़े उधारकर्ताओं के लिए कार्यशील पूंजी की समग्र सीमा के भीतर उप-सीमाएं निर्धारित करें। (कृपया 16 अक्‍तूबर 2000 के परिपत्र आईईसीडी/5/08.12.01/2000-01 देखें, जिसे 30 मई 2003 के परिपत्र सं.आईईसीडी.सं.20/08.12.01/2002-03 के माध्‍यम से दोहराया गया है)।

प्र.15. 'सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के पुनर्वास और पुनरुद्धार के लिए ढांचा' पर दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

इस ढांचे की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के ऋण खाते को अनर्जक आस्तियों (एनपीए) में परिवर्तित होने से पूर्व बैंकों/ ऋणदाताओं को चाहिए कि वे ढांचे में बताए अनुसार विशेष उल्लिखित खाता (एसएमए) के अधीन तीन उप-श्रेणियां सृजित कर खाते में आरंभिक दबाव की पहचान करें।

  2. कोई भी एमएसएमई उधारकर्ता स्वेच्छा से भी इस ढांचे के तहत कार्यवाही शुरू कर सकता है।

  3. सुधारात्मक कार्रवाई योजना तय करने के लिए समितिगत दृष्टिकोण अपनाया जाना।

  4. इस ढांचे के तहत विभिन्न निर्णय लेने के लिए समय-सीमा तय की गई है।

कृपया अधिक जानकारी के लिए 17 मार्च 2016 का परिपत्र सं. विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.बीसी.सं.21/06.02.31/2015-16 देखें।

प्र.16. उपरोक्त ढांचे के प्रावधान किन खातों पर लागू होते हैं?

इस ढांचे में किए गए प्रावधान 25 करोड़ तक की सीमा के तहत एमएसएमई ऋण, कंसोर्टियम या बहु बैंकिंग व्यवस्था (एमबीए) के अंतर्गत खातों सहित, पर लागू होंगे।

प्र.17. कोई बैंक या लेनदार एमएसएमई खाते में आरंभिक दबाव की पहचान कैसे कर सकता है?

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उध्यम के ऋण खाते को अनर्जक आस्तियों (एनपीए) में परिवर्तित होने से पूर्व बैंकों/ ऋणदाताओं को चाहिए कि वे नीचे दिए गए तालिका के अनुसार विशेष उल्लिखित खाता (एसएमए) के अधीन तीन उपश्रेणियाँ सृजित कर खाते में दबाव की पहचान करें:

एसएमए उप श्रेणी वर्गीकरण हेतु आधार
एसएमए-0 मूलधन या ब्याज का भुगतान 30 दिनों से अधिक के लिए अतिदेय नहीं हो परंतु आरंभिक दबाव दर्शाने वाला खाता
एसएमए-1 मूलधन या ब्याज का भुगतान 31 से 60 दिनों के बीच अतिदेय
एसएमए-2 मूलधन या ब्याज का भुगतान 61 से 90 दिनों के बीच अतिदेय

प्र.18. समिति ढांचे के तहत खातों में तनाव का समाधान कैसे करती है?

समिति खाते में दबाव के समाधान के लिए विभिन्न विकल्प तलाश सकती है। समिति किसी विशेष प्रस्ताव विकल्प को प्रोत्साहित करने का प्रयास नहीं करती है तथा प्रत्येक मामले की विशिष्ट आवश्यकता और स्थिति के अनुसार सुधारात्मक कार्य योजना (सीएपी) का निर्धारण करती है। समिति द्वारा सीएपी के तहत विकल्पों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

  1. परिशोधन;

  2. पुनर्संरचना;

  3. वसूली

अधिक जानकारी के लिए आप दिनांक 17 मार्च 2016 के परिपत्र सं. विसविवि.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.21/06.02.31/2015-16, को देख सकते हैं।

प्र.19. कौन सा विनियम 25 करोड़ से अधिक ऋण सीमा वाले उन एमएसएमई के समाधान को नियंत्रित करता है जो एमएसएमई के पुनरुद्धार और पुनर्वास (एफआरआर) के फ्रेमवर्क के तहत शामिल नहीं हैं?

एफआरआर के तहत शामिल नहीं किए गए एमएसएमई अग्रिमों को ‘दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा’ से संबंधित 07 जून 2019 के परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.45/21.04.048/2018-19, जैसा कि समय-समय पर अद्यतन किया जाता है, के अंतर्गत नियंत्रित किया जाएगा।

प्र.20. एमएसई के लिए उनके एनपीए के निपटान हेतु एकमुश्त निपटान योजना (ओटीएस) पर आरबीआई के दिशानिर्देश क्या हैं?

अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को हमारे दिनांक 4 मई 2009 के परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.102/06.04.01/2008-09 के द्वारा सूचित किया गया है कि वे अपने बोर्ड द्वारा विधिवत अनुमोदित एक गैर-विवेकाधीन एकमुश्त निपटान योजना की व्यवस्था करें। बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि वे अपनी ओटीएस नीतियों का पर्याप्त रूप से प्रचार करें।

प्र.21. ऋण और अन्य बैंकिंग सुविधाओं के अलावा, क्या बैंक एमएसई उद्यमियों को कोई अन्य मार्गदर्शन प्रदान करते हैं?

हां, बैंक एमएसई उद्यमियों को निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करते हैं:

(i) ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई)

ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) की पहल पर, पूरे देश में विभिन्न बैंकों द्वारा ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई) स्थापित किए गए हैं। इन ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों का प्रबंधन बैंकों द्वारा भारत सरकार और राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग से किया जाता है। निरंतर बदलते वैश्विक बाजार में मौजूदा उद्यमियों को प्रतिस्पर्धी होने में मदद करने के लिए आरएसईटीआई विभिन्न छोटी अवधि (अधिमानतः 1 से 6 सप्ताह तक) के कौशल उन्नयन कार्यक्रम आयोजित करते हैं। आरएसईटीआई यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके द्वारा प्रशिक्षित उम्मीदवारों की एक सूची क्षेत्र की सभी बैंक शाखाओं को भेजी जाए और सरकार द्वारा प्रायोजित किसी भी योजना या प्रत्यक्ष ऋण के तहत वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने हेतु उनके साथ समन्वय किया जाए।

(ii) वित्तीय साक्षरता और परामर्श सहायता:

बैंकों को सूचित किया गया है कि वे या तो अपनी शाखाओं में अलग से विशेष प्रकोष्ठ स्थापित करें, या उनके तुलनात्मक लाभ के अनुसार उनके द्वारा स्थापित वित्तीय साक्षरता केंद्रों (एफएलसी) में इस कार्य को सीधे तौर पर एकीकृत करें। इन एफएलसी के माध्यम से, बैंक एमएसई उद्यमियों को वित्तीय साक्षरता, परिचालन कौशल, जिसमें लेखांकन और वित्त, व्यवसाय योजना आदि शामिल हैं, के संबंध में सहायता प्रदान करते हैं (दिनांक 1 अगस्त 2012 परिपत्र ग्राआऋवि.एमएसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.20/06.02.31/2012-13 को देखें)।

साथ ही, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) द्वारा संचालित वित्तीय साक्षरता केंद्रों को दिनांक 02 मार्च 2017 के हमारे परिपत्र विसविवि.एफएलसी.बीसी.सं.22/12.01.018/2016-17 द्वारा लक्ष्य विशिष्ट वित्तीय साक्षरता शिविर, जिसमें पहचाने गए लक्षित समूहों में से एक एमएसई है, आयोजित करने हेतु सूचित किया गया है।

प्र.22 एमएसई उधारकर्ताओं को समय पर और पर्याप्‍त रूप में ऋण की उपलब्‍धता को सुकर बनाने के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के क्‍या दिशानिर्देश हैं?

24 जुलाई 2017 के मास्‍टर निदेश विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि वे एमएसई क्षेत्र के लिए अपनी मौजूदा ऋण-नीतियों की समीक्षा करें और उसमें निम्नलिखित प्रावधानों को शामिल करके उन्हें समायोजित करें ताकि जरूरत पड़ने पर, विशेषतः किसी अप्रत्याशित परिस्थिति में निधियों की आवश्यकता के दौरान अर्थक्षम सूक्ष्म व लघु उद्यम (एमएसई) उधारकर्ताओं को समय पर और पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराया जा सके:

  1. मीयादी ऋणों के मामले में आपाती ऋण सुविधा का विस्तार करना

  2. एमएसई इकाइयों की आकस्मिक आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त कार्यशील पूंजी

  3. नियमित कार्यशील पूंजी सीमाओं की मध्यावधि समीक्षा, जहां बैंकों को यह विश्वास हो कि एमएसई उधारकर्ताओं के मांग के स्वरूप में परिवर्तनों के कारण पिछले वर्ष की वास्तविक बिक्री के आधार पर प्रति वर्ष एमएसई की मौजूदा क्रेडिट सीमा में वृद्धि की आवश्यकता होती है।

  4. ऋण निर्णयों के लिए समय-सीमा।

(कृपया अधिक जानकारी के लिए 27 अगस्‍त 2015 का परिपत्र विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.बीसी.सं. 60/06.02.31/2015-16 देखें)।

प्र.23. क्या आरबीआई ने एमएसएमई ऋण आवेदनों के संदर्भ में क्रेडिट संबंधी निर्णय के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित की है?

24 जुलाई 2017 के मास्टर निदेश विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि एमएसई उधारकर्ताओं में इकाइयों को 25 लाख तक के ऋण के लिए ऋण निर्णयों की समय-सीमा 14 कार्य दिवसों से अधिक नहीं होगी। उपर्युक्त सीमा से अधिक राशि के ऋणों के मामले में समयसीमा बोर्ड द्वारा अनुमोदित स्वीकृति समय-सीमा के मानदंडों के अनुसार होगी। साथ ही, बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि वे एमएसएमई से संबंधित सभी ऋण संबंधी जानकारी जिसमें ऋण निर्णयों के लिए समय-सीमा, सांकेतिक दस्तावेज़ों की जांच-सूची, आदि शामिल हैं, बैंकों की वेबसाइट पर एक अलग टैब के तहत प्रमुखता से प्रदर्शित करें।

प्र.24. क्या एमएसएमई ऋण प्रस्तावों के निपटारे की निगरानी के संबंध में बैंकों के लिए कोई दिशानिर्देश हैं?

24 जुलाई 2017 के मास्टर निदेश विसविवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि वे बैंक केंद्रीय पंजीकरण और सभी एमएसएमई ऋण आवेदनों की ई-ट्रैकिंग की प्रणाली की सुविधा के लिए ऋण प्रस्‍ताव ट्रैकिंग प्रणाली (सीपीटीएस)/ समतुल्य ट्रैकिंग प्रणाली स्थापित करें। यह प्रणाली स्वचालित रूप से ऋण संबंधी आवेदन की पावती जनरेट करेगी, जिसमें भौतिक और ऑनलाइन दोनों प्रकार के आवेदनों के लिए एक विशिष्ट आवेदन क्रमांक होगा। इसके अलावा, बैंकों द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आवेदन की पावती और स्थिति स्वचालित रूप से आवेदकों को भेजी जाए।

साथ ही, बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि वे एमएसएमई उधारकर्ताओं को लिखित रूप में मुख्‍य कारण/ कारणों को सूचित करें जिन पर बैंक द्वारा विधिवत विचार किए जाने के बाद ऋण संबंधी आवदेनों को अस्‍वीकृत किया गया। (कृपया अधिक जानकारी के लिए 9 मई 2013 का परिपत्र ग्राआऋवि.सं.एमएसएमइ एंड एनएफएस.बीसी.74/06.02.31/2012-13 देखें)।

प्र.25. ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) क्या है?

टीआरईडीएस का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक बिल फैक्टरिंग एक्सचेंज निर्मित करना है जो इलेक्ट्रॉनिक रूप से बिलों को स्वीकार और भुगतान करें ताकि एमएसएमई बिना देरी के अपनी प्राप्तियों को भुना सकें। यह न केवल उन्हें वित्त तक अधिक पहुंच प्रदान करेगा बल्कि कॉरपोरेट्स को उनके बकाए का समय पर भुगतान करने के लिए उन्हें और अधिक अनुशासित भी बनाएगा। अधिक जानकारी के लिए आप पर टीआरईडीएस की स्थापना और संचालन के लिए रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों को देख सकते हैं।

प्र.26. प्रमाणित ऋण सलाहकार (सीसीसी) योजना क्या है?

प्रथम द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2016-17 के पैरा 48 में की गई घोषणा के अनुसार, रिज़र्व बैंक ने ऋण सलाहकारों के आधिकारिक मान्यता के लिए एक रूपरेखा निर्धारित की जिसे परिचालन संबंधी दिशानिर्देश निर्धारित करने के लिए सिडबी के साथ साझा किया गया। तदनुसार, सिडबी द्वारा यह योजना जुलाई 2017 में शुरू की गई थी। योजना के अनुसार, प्रमाणित ऋण सलाहकार सिडबी के साथ पंजीकृत संस्थान या व्यक्ति होते हैं जो पेशेवर तरीके से परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में एमएसएमई की सहायता करते हैं, जो बैंकों को और अधिक प्रामाणिक ऋण निर्णय लेने में मदद करते हैं।


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