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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


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प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

(08 मई 2025 को अद्यतन किया गया)

क्रम सं. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
  क. ऋणों का वर्गीकरण
1. प्रश्न 1: क्या 01 अप्रैल 2025 को जो ऋण पीएसएल के रूप में वर्गीकृत नहीं हैं, उन्हें संशोधित मापदंडों के आधार पर पीएसएल के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है?

उत्तर: 01 अप्रैल 2025 तक बकाया ऋणों की प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) पात्रता का निर्धारण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2025 पर मास्टर निदेश के प्रावधानों के संदर्भ में किया जाएगा।
  ख. समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना (एएनबीसी)
2. प्रश्न 2: एएनबीसी की गणना में पीएसएलसी खरीद/पीएसएलसी बिक्री को कैसे समायोजित किया जाए?

उत्तर: निवल पीएसएलसी बकाया (खरीदी गई पीएसएलसी घटाव(-) बेची गई पीएसएलसी) को निवल बैंक ऋण में जोड़ा जाता है, जैसा कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2025 पर मास्टर निदेश के पैरा 6 (समय-समय पर अद्यतन) में उल्लिखित है। इसके अलावा, एक पीएसएलसी अपनी समाप्ति तक बकाया रहता है (दिनांक 07 अप्रैल 2016 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्र पर परिपत्र के अनुबंध की क्रम सं. ix) सभी पीएसएलसी 31 मार्च तक समाप्त हो जाएंगे और रिपोर्टिंग तिथि (अर्थात 31 मार्च) से आगे मान्य नहीं होंगे, भले ही पूर्व में उसके खरीद / बेचने की तिथि कुछ भी हो। तदनुसार, एएनबीसी में पीएसएलसी खरीद संबंधी प्रभाव में वृद्धि होती है और इसके विपरीत पीएसएलसी की बिक्री का प्रभाव एएनबीसी में कम होता है तथा पीएसएलसी की खरीद/बिक्री का निवल प्रत्येक तिमाही के लिए एएनबीसी में समायोजित किया जाता है। अतः किसी भी तिमाही में खरीदे या बेचे गए पीएसएलसी को वित्त वर्ष के अंत तक सभी बाद की तिमाहियों में ध्यान में रखना होगा, जिससे वह संबंधित है।
3. प्रश्न 3: क्या पीएसएल की कमी के कारण डीएफआई अर्थात नाबार्ड, सिडबी, मुद्रा और एनएचबी के पास जमा राशि को पीएसएल लक्ष्यों / उप-लक्ष्यों और एएनबीसी की उपलब्धि के लिए गिना जा सकता है?

उत्तर: (i) पी.एस.एल. में कमी के कारण नाबार्ड के पास बकाया जमाराशियां कृषि उप-लक्ष्य के लिए गणना योग्य हैं तथा समग्र पी.एस.एल. के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भी गणना योग्य हैं।
(ii) सिडबी और मुद्रा के पास बकाया जमाराशियां एमएसएमई उधार के अंतर्गत गिनी जाने योग्य हैं तथा समग्र पीएसएल लक्ष्य की प्राप्ति के लिए गिनी जाती हैं।
(iii) एनएचबी के पास बकाया जमाराशियां आवास के अंतर्गत गिनी जाने योग्य हैं तथा समग्र पीएसएल लक्ष्य की प्राप्ति के लिए गिनी जाएंगी।
(iv) उपरोक्त सभी बकाया जमाराशियों को एएनबीसी की गणना के लिए नेट बैंक क्रेडिट (एनबीसी) में जोड़ा जाएगा।
4. प्रश्न 4: दिनांक 31 जनवरी 2014 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आरईटी.बीसी.93/12.01.001/2013-14 तथा दिनांक 14 अगस्त 2013 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आरईटी.बीसी.36/12.01.001/2013-14 के पैरा 3 के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया था कि वृद्धिशील एफसीएनआर(बी)/एनआरई जमाराशियों पर भारत में प्रदत्त अग्रिमों को, जो उक्त परिपत्र के अनुसार सीआरआर/एसएलआर अपेक्षाओं से छूट के लिए पात्र हैं, उनकी चुकौती तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्यों की गणना के लिए समायोजित निवल बैंक ऋण में शामिल नहीं किया जाएगा। इस तरह के अग्रिमों की सीमा तक पहुंचने का तरीका क्या है?

उत्तर: (i) उपर्युक्त परिपत्र के अनुसार, एएनबीसी से अपवर्जन के लिए पात्र राशि, पात्र वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/ एनआरई जमाराशियों से उत्पन्न संसाधनों से दिए गए वृद्धिशील अग्रिम हैं। वृद्धिशील अग्रिम की गणना 7 मार्च 2014 को भारत में बकाया अग्रिमों और आधार तिथि (26 जुलाई 2013) के बीच के अंतर के रूप में की जाती है।
(ii) उपर्युक्त परिपत्रों के अनुसार, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की गणना के लिए एएनबीसी से बाहर की जाने वाली राशि सीआरआर/एसएलआर के रखरखाव से छूट के लिए पात्र वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/ एनआरई जमाराशियों से अधिक नहीं होगी।
(iii) यदि 7 मार्च 2014 और आधार तिथि के बीच बकाया अग्रिमों की राशि में अंतर शून्य या ऋणात्मक है, तो कोई भी राशि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से एएनबीसी से कटौती के लिए पात्र नहीं होगी।
5. प्रश्न 5: क्या बैंकों को 'भारत में बैंक ऋण' की गणना करते समय खरीदे गए/भुनाए गए/परक्रामित बिलों (लाभार्थी को भुगतान जो रिज़र्व के तहत नहीं है) को बाहर रखने की अनुमति है?

उत्तर: एलसी के तहत खरीदे गए/ भुनाए गए/ परक्रामित बिलों (लाभार्थी को भुगतान जो रिज़र्व के तहत नहीं है) को केवल एक्सपोजर और पूंजी आवश्यकताओं की गणना के सीमित उद्देश्य के लिए अंतर बैंक एक्सपोजर के रूप में मानने की अनुमति है। इसे 'भारत में बैंक ऋण' की गणना से बाहर नहीं किया जाना चाहिए [जैसा कि आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 42(2) के तहत फॉर्म 'ए' के मद सं. VI में निर्धारित है] जो अंतर बैंक अग्रिम को बाहर रखने की अनुमति देता है। एक्सपोजर, एलसी जारी करने वाले बैंक के लिए हो सकता है, जबकि खरीदे गए बिल/ भुनाई गई राशि को उधारकर्ता को दिए गए बैंक ऋण के रूप में देखा जाना चाहिए। यदि यह अग्रिम प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र है, तो बैंक इसे पीएसएल के रूप में दावा कर सकता है। बैंकों को भारत में निवल बैंक ऋण को रिपोर्ट करने के साथ-साथ पीएसएल लक्ष्यों और उपलब्धि के लिए समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना करते समय उपरोक्त पहलू पर ध्यान देना चाहिए।
  ग. पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन
6.

प्रश्न 6: क्या ऋण में गिरावट या नकारात्मक वृद्धिशील ऋण के मामले में भारांक लागू होगा?

उत्तर: यदि ऋण में गिरावट होती है, तो भारांक वृद्धिशील ऋण शून्य (0) होगा। नीचे दी गई गणना-पद्धति के अनुसार उन सभी जिलों का विचार किया जाएगा, जिनसे संबंधित डेटा एडेप्ट (ADEPT) पोर्टल और जिला-क्यूपीएसए विवरणी में प्रस्तुत किया गया है। इसके अतिरिक्त, बैंकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे ऊपर वर्णित गणना-पद्धति के आधार पर, चिन्हित किए गए जिलों में विभेदक भारांक के निर्देश को ध्यान में रखते हुए, पीएसएलसी में लेनदेन के उद्देश्य से, वर्ष के दौरान अपनी स्वयं की पीएसएल लक्ष्यों की उपलब्धि की निगरानी करें।

7. प्रश्न 7: किसी विशेष जिले के लिए क्रेडिट मैपिंग हेतु क्या मानदंड है?

उत्तर: किसी विशेष जिले में क्रेडिट सुविधा की मैपिंग के लिए, 'ऋण के उपयोग का स्थान' योग्यता मानदंड होगा।
8. प्रश्न 8: अप्रत्यक्ष मार्गों अर्थात पीएसएलसी, आईबीपीसी, ऑन-लेंडिंग, सिक्योरिटाइजेशन, असाइनमेंट आदि के माध्यम से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को प्राप्त करने के मामले में व्यक्तिगत खाता स्तर से संबंधित डेटा की मैपिंग के लिए ‘उपयोग का स्थान’ उपलब्ध नहीं हो सकता है। ऐसे मामले में वृद्धिशील ऋण की गणना कैसे की जाएगी?

उत्तर: भारांक निर्धारित करने के लिए जिला-वार वृद्धिशील ऋण की गणना करते समय, आंगिक ऋण अर्थात केवल बैंकों द्वारा सीधे संवितरित ऋण और जिसके लिए वास्तविक उधारकर्ता/लाभार्थी-वार विवरण बैंक की बहियों में रखा जाता है, पर विचार किया जाएगा। निम्नलिखित अनांगिक मार्गों के माध्यम से संवितरित ऋण पर वृद्धिशील भारांक के लिए विचार नहीं किया जाएगा:
  1. बैंकों द्वारा प्रतिभूत आस्तियों में निवेश

  2. प्रत्यक्ष समनुदेशन/एकमुश्त खरीद के माध्यम से आस्तियों का हस्तांतरण

  3. अंतर बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र (आईबीपीसी)

  4. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी)

  5. एमएफआई (एनबीएफसी-एमएफआई, सोसायटी, ट्रस्ट, आदि) को ऑन-लेंडिंग के लिए बैंक ऋण

  6. ऑन-लेंडिंग के लिए एनबीएफसी को बैंक ऋण

  7. ऑन-लेंडिंग के लिए एचएफसी को बैंक ऋण

  घ) कृषि
9. प्रश्न 9: क्या स्वर्ण के बदले बैंक ऋण को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है?

उत्तर: पीएसएल दिशानिर्देश गतिविधि और लाभार्थी विशिष्ट हैं और संपार्श्विक के प्रकार पर आधारित नहीं हैं। इसलिए कृषि गतिविधियों को संचालित करने के लिए व्यक्तियों / व्यवसायों को दिए गए बैंक ऋण केवल इस तथ्य के कारण कि अंतर्निहित आस्ति स्वर्ण आभूषण/गहने आदि हैं, वे स्वतः ही प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए अपात्र नहीं हो जाते हैं। तथापि, यह नोट किया जाए कि दिनांक 06 दिसम्बर 2024 के एफआईडीडी परिपत्र के अनुसार यह सूचित किया गया है कि बैंक 2 लाख तक के कृषि ऋणों के लिए संपार्श्विक प्रतिभूति और मार्जिन आवश्यकताओं में छूट दे सकते हैं। अतः बैंक को कृषि संबंधी गतिविधि के संचालन हेतु वित्त-मान और ऋण आवश्यकता के आकलन के आधार पर ऋण देना चाहिए न कि केवल स्वर्ण के रूप में उपलब्ध संपार्श्विक के आधार पर। इसके अतिरिक्त, जैसा कि पीएसएल के तहत सभी ऋणों पर लागू होता है, बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित आंतरिक नियंत्रण और प्रणाली स्थापित करनी चाहिए कि पीएसएल के तहत दिए गए ऋण स्वीकृत उद्देश्यों के लिए हैं और अंतिम उपयोग की निरंतर निगरानी की जाती है।
10. प्रश्न 10: पीएसएल-कृषि/एसएमएफ के तहत ऋणों का वर्गीकरण करते समय बैंकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

उत्तर: बैंक को पीएसएल के तहत कृषि ऋणों को वर्गीकृत करने के लिए अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित उचित दस्तावेज सुनिश्चित करना चाहिए। विशेष रूप से कृषि/एसएमएफ श्रेणी के तहत ऋणों को वर्गीकृत करते समय, बैंक को खेती के लिए भूमि के स्थान, उगाई गई फसल, फसलों का दृष्टिबंधक, यदि कोई हो, वित्त-मान के आधार पर ऋण की स्वीकृति, कृषि ऋणों के अंतिम उपयोग की निगरानी के लिए बैंक अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के दौरे का रिकॉर्ड, आदि संबंधी विवरण रखना चाहिए। भूमि अभिलेख/पट्टा विलेख की प्रति के अभाव में उपरोक्त में से कुछ पहलू बैंक के पास उपलब्ध होने चाहिए, विशेष रूप से भूमिहीन मजदूरों, बटाईदारों आदि को दिए गए कृषि ऋणों के मामले में।
11. प्रश्न 11: 'कृषि बुनियादी संरचना' या 'खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण' श्रेणियों के अंतर्गत गतिविधियों को ऋण प्रदान करते समय बैंकों को बैंकिंग प्रणाली से 100 करोड़ की उच्चतम ऋण सीमा का पालन कैसे सुनिश्चित करना चाहिए?

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, कृषि बुनियादी संरचना या खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण गतिविधि के लिए बैंकिंग प्रणाली से प्रति उधारकर्ता ऋण 100 करोड़ की कुल स्वीकृत सीमा के अधीन है। यदि पूरे बैंकिंग उद्योग में कुल एक्सपोजर 100 करोड़ की सीमा से अधिक होता है, तो कुल एक्सपोजर पीएसएल श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत होना बंद हो जाएगा। 100 करोड़ की स्वीकृत सीमा किसी विशेष इकाई के लिए सुविधावार सुनिश्चित की जानी चाहिए और यह पीएसएल/गैर-पीएसएल उद्देश्यों के लिए इकाई के अन्य उधारों को छोड़कर हो। हालांकि, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बैंक ने इकाई के कृषि बुनियादी संरचना या खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण गतिविधियों के विशिष्ट उद्देश्य के लिए ऋण को पीएसएल के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए अलग-अलग सीमाओं का आकलन और मंजूरी दी है। बैंकों को उसी गतिविधि के लिए किसी अन्य बैंक/बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण के संबंध में उधारकर्ता से घोषणा प्राप्त करना चाहिए तथा उन बैंकों से स्वतंत्र रूप से पुष्टि मांगनी चाहिए। ऐसे परिदृश्य में, जहां बैंक द्वारा नई मंजूरी से बैंकों की कुल सीमा 100 करोड़ से अधिक हो जाती है, तो इसके बारे में अन्य बैंकों को सूचित करने की आवश्यकता है। तदनुसार, अन्य सभी बैंकों को इसे पीएसएल से अवर्गीकृत करना होगा।
12. प्रश्न 12: वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिए कार्गो कंपनियों, शिपिंग कंपनियों, रोडलाइन्स कंपनियों, ट्रांसपोर्ट कंपनियों, लॉजिस्टिक कंपनियों, मूवर्स और कैरियर्स आदि को ऋण दिए जाते हैं। ये परिवहन और शिपिंग कंपनियां ऐसे उद्यमों के लिए वाहक ('ट्रांसपोर्टर') के रूप में कार्य करती हैं जो खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण व्यवसाय में संलग्न हैं। क्या ऐसे ट्रांसपोर्टरों को दिया गया बैंक ऋण, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं, जो 'वाहक' के रूप में कार्य करते हैं और स्वयं किसी खाद्य एवं कृषि प्रसंस्करण गतिविधियों में संलग्न नहीं हैं?

उत्तर: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2025 पर मास्टर निदेश के अनुबंध-III के अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के तहत अनुमत गतिविधियों की सांकेतिक सूची के तहत परिवहन एक पात्र गतिविधि है। हालांकि, वाणिज्यिक वाहनों की खरीद के लिए ट्रांसपोर्टरों को "खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण" श्रेणी के तहत किसी भी सुविधा को वर्गीकृत करते समय, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वाहनों का उपयोग विशेष रूप से खाद्यान्न तथा एग्रो-प्रसंस्कृत उत्पादों के परिवहन के लिए किया जाता है या वे विशेष रूप से "खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण" के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहन हैं, जैसे कोल्ड स्टोरेज ट्रक, वैन आदि। यदि वाणिज्यिक वाहन का उपयोग खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण से संबंधित उत्पादों के अलावा अन्य उत्पादों के परिवहन के लिए भी किया जाता है, तो वह सुविधा 'खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण' श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगी। हालांकि, ऐसे ऋणों को एमएसएमई के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है, यदि उधारकर्ता 24 जुलाई 2017 को जारी मास्‍टर निदेश – सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार (समय-समय पर अद्यतन) में दी गई परिभाषा के अनुसार एमएसएमई के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र है।
13. प्रश्न 13: क्या वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिए कंपनियों को दिए गए बैंक ऋण पीएसएल की "कृषि बुनियादी संरचना" श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हो सकते हैं?

उत्तर: वाणिज्यिक वाहनों की खरीद के लिए ट्रांसपोर्टरों को दी जाने वाली किसी भी सुविधा को "कृषि बुनियादी संरचना" श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत करते समय, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वाहन का उपयोग केवल उन गतिविधियों के लिए किया जाए जो "कृषि बुनियादी संरचना" से संबंधित हों। यदि वाणिज्यिक वाहन का उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिए भी किया जाता है, तो यह सुविधा 'कृषि बुनियादी संरचना’ के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगी। हालांकि, ऐसे ऋणों को एमएसएमई के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है, यदि उधारकर्ता 24 जुलाई 2017 को जारी मास्‍टर निदेश – सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार (समय-समय पर अद्यतन) में दी गई परिभाषा के अनुसार एमएसएमई के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र है।
  ङ) निर्यात ऋण
14. प्रश्न 14: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों के लिए निर्यात ऋण की स्वीकार्य सीमा क्या है?

उत्तर: कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों को बैंकों द्वारा दिया गया निर्यात ऋण, संबंधित श्रेणियों अर्थात कृषि और एमएसएमई के अंतर्गत बिना किसी ऊपरी सीमा के प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के रूप में वर्गीकृत होने के लिए पात्र है।
  च) शिक्षा
15. प्रश्न 15: संशोधित पीएसएल दिशानिर्देशों के तहत, स्वीकृत उच्चतम सीमा 25 लाख तक सीमित कर दी गई है। यदि किसी ग्राहक को 25 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत किया जाता है और बकाया राशि 25 लाख रुपये से अधिक हो जाती है (मान लीजिए 28 लाख रुपये), तो ऐसी स्थिति में क्या पीएसएल के लिए संपूर्ण बकाया की गणना की जाएगी?

उत्तर: अध्ययन अवधि के दौरान चुकौती पर अधिस्थगन के परिणामस्वरूप उपचित ब्याज के कारण बकाया राशि 25 लाख से अधिक हो सकता है। तदनुसार, संपूर्ण बकाया राशि को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए गिना जाएगा बशर्ते कि स्वीकृत सीमा 25 लाख से अधिक न हो।
  छ. आवास
16. प्रश्न 16: यदि बैंक के अपने कर्मचारियों को अन्य ग्राहकों पर लागू वाणिज्यिक शर्तों पर आवास ऋण दिया जाता है, तो क्या वे प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं?

उत्तर: बैंकों के अपने कर्मचारियों को दिए गए आवास ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं हैं, भले ही वे वाणिज्यिक शर्तों पर या रियायती दरों पर दिए गए हों।
  ज. सामाजिक बुनियादी संरचना
17. प्रश्न 17: सामाजिक बुनियादी संरचना संबंधी गतिविधिएं, अर्थात स्कूल आदि (8 करोड़ की निर्धारित सीमा) और स्वास्थ्य सेवा सुविधाएं (12 करोड़ की निर्धारित सीमा) जैसी सुविधाएं पीएसएल दिशानिर्देशों के अनुसार एमएसएमई के अंतर्गत वर्गीकृत होने के लिए भी पात्र हैं, ऐसे में उन्हें उधार देने के लिए पीएसएल वर्गीकरण पर कैसे विचार किया जाता है?

उत्तर: उपरोक्त उद्देश्यों के लिए बैंक ऋण को एमएसएमई के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसमें ऋण पर कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। हालाँकि, बैंक ऐसी गतिविधियों को या तो एमएसएमई या सामाजिक बुनियादी संरचना के अंतर्गत वर्गीकृत कर सकते हैं, दोनों के अंतर्गत नहीं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि सामाजिक बुनियादी संरचना के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए, ऋण पर संबद्ध सीमा लागू होगी।
  झ. कमजोर वर्ग
18. प्रश्न 18: क्या ‘कमजोर वर्गों’ के अंतर्गत तेरह उधारकर्ता श्रेणियों को दी जाने वाली सभी ऋण सुविधाएं ‘कमजोर वर्गों’ की श्रेणी में वर्गीकृत होने के योग्य हैं?

उत्तर: 'कमजोर वर्गों' के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए, ऋण को पहले अंतर्निहित गतिविधि के अनुसार आठ पीएसएल श्रेणियों में से किसी के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होना चाहिए।
19. प्रश्न 19: साझेदारी फर्मों/प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मामले में, यदि किसी भागीदार/निदेशक के पास 2 हेक्टेयर तक की कृषि भूमि है तो क्या दिए गए ऋण को एसएमएफ और कमजोर वर्ग के रूप में टैग किया जा सकता है?

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, एसएमएफ में व्यक्ति, एसएचजी, जेएलजी, फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनियां (एफपीसी) और किसानों की सहकारी समितियां, सदस्यता के मानदंड संख्या और भूमि-जोत के साथ, शामिल है। अतः 2 हेक्टेयर तक कृषि भूमि रखने वाले साझेदारी फर्मों/सह-उधारकर्ताओं या कंपनी के किसी निदेशक को दिए गए ऋण पीएसएल की एसएमएफ़ श्रेणी के तहत वर्गीकृत होने के पात्र नहीं हैं।
20. प्रश्न 20: एक साझेदारी फर्म के मामले में, यदि अधिकांश भागीदार एक या दूसरे विशिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हैं, तो क्या ऐसी साझेदारी फर्मों को दिए गए अग्रिमों को अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिम के रूप में माना जा सकता है। इसके अलावा, प्राइवेट/पब्लिक लिमिटेड कंपनी के मामले में, यदि कोई निदेशक अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित है, तो क्या ऋण को कमजोर वर्ग की श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है?

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित सूची के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी ऋण अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र हैं। इसे 'अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं' पर जारी मास्टर परिपत्र के पैरा 2.2 के साथ पढ़ा जा सकता है जिसमें कहा गया है कि "भागीदारी फर्म के मामले में, यदि भागीदारों में से अधिकांश एक अथवा अधिक विशिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हैं तो, ऐसी भागीदारी फर्मों को दिए गए अग्रिमों को अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों में गिना जाना चाहिए। साथ ही, यदि भागीदारी फर्म में अधिकांश हिताधिकारी स्‍वामित्‍व अल्पसंख्यक समुदाय का है तो, ऐसे उधार को निर्धारित समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। किसी कम्पनी का कानूनी रूप से पृथक अस्तिव होने के कारण उसे दिए गए अग्रिमों को निर्धारित अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।"
21. प्रश्न 21: क्या बैंक कमजोर वर्ग के अंतर्गत शामिल किए जाने वाले अल्पसंख्यक/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए ग्राहक की घोषणा पर भरोसा कर सकते हैं?

उत्तर: आवेदन पत्र में ग्राहक द्वारा की गई घोषणा अल्पसंख्यकों/अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों को दी जाने वाली ऋण सुविधाओं को कमजोर वर्गों के अंतर्गत वर्गीकृत करने के लिए पर्याप्त होगी। तथापि, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पहले ऋण अंतर्निहित गतिविधि के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हों।
  ञ. बैंकों द्वारा प्रतिभूत आस्तियों में निवेश/ सीधे समनुदेशन/एकमुश्त खरीद के माध्यम से आस्तियों का हस्तांतरण
22. प्रश्न 22: पीटीसी पोर्टफोलियो के प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की स्थिति का पता लगाने के लिए बैंकों को कैसे समुचित सावधानी सुनिश्चित करना चाहिए?

उत्तर: बैंक इस प्रयोजन के लिए मूल संस्था द्वारा प्रदान किए गए लेखापरीक्षक प्रमाणन तथा अपने स्वयं के स्टाफ या किसी लेखापरीक्षक द्वारा नमूना जांच के संयोजन पर भरोसा कर सकते हैं। इसे उनकी आंतरिक नीति में उपयुक्त रूप से शामिल किया जा सकता है।
  ट. पीएसएलसी
23. प्रश्न 23: पीएसएलसी ट्रेडिंग के लिए बैंक कैसे पंजीकरण कर सकते हैं?

उत्तर: बैंकों को पीएसएलसी ट्रेडिंग के लिए पंजीकरण प्राप्त करने के लिए क) डीईए फंड कोड, ख) ग्राहक पहचान संख्या और ग) आरबीआई चालू खाता संख्या, के साथ fiddpsd@rbi.org.in पर वित्तीय समावेशन और विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय के समक्ष एक अनुरोध प्रस्तुत करना होगा।
24. प्रश्न 24: क्या पीएसएलसी सीमित अवधि के लिए अर्थात एक रिपोर्टिंग तिमाही और उसके गुणाकारों के लिए जारी किए जा सकते हैं?

उत्तर: पीएसएलसी की अवधि उसके जारी होने की तारीख पर निर्भर करेगी। सभी पीएसएलसी वित्तीय वर्ष के अंत तक यानी 31 मार्च तक वैध रहेंगे और अगले दिन यानी 1 अप्रैल को समाप्त हो जाएंगे।
25. प्रश्न 25: ई-कुबेर पोर्टल पर पीएसएलसी मॉड्यूल के उपयोग के लिए लेनदेन शुल्क/फीस क्या हैं? पीएसएलसी ट्रेडिंग के कर निहितार्थ क्या हैं?

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, ई-कुबेर पोर्टल पर पीएसएलसी मॉड्यूल के उपयोग के लिए कोई लेनदेन शुल्क लागू नहीं है। पीएसएलसी में ट्रेडिंग के कारण कर निहितार्थ बैंकों द्वारा लागू कर कानूनों के अनुसार निर्धारित किया जा सकता है।
26. प्रश्न 26: क्या निर्यात ऋण पीएसएलसी-जनरल का हिस्सा है और क्या निर्यात ऋण में बैंकों के अधिशेष को पीएसएलसी-जनरल के रूप में बेचा जा सकता है?

उत्तर: 'निर्यात ऋण' पीएसएलसी - सामान्य के बदले अंतर्निहित आस्तियों का एक भाग बन सकता है। हालाँकि, 'निर्यात ऋण' के बदले पीएसएलसी-सामान्य जारी करने वाला कोई भी बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि अंतर्निहित 'निर्यात ऋण' पोर्टफोलियो घरेलू बैंकों के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए भी पात्र है।
27. प्रश्न 27: क्या 'निर्यात के अलावा' को ऋण के 8% के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को पीएसएलसी-सामान्य खरीदने की अनुमति है?

उत्तर: 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को निर्यात के अलावा अन्य क्षेत्रों को उधार देने के अपने 8% लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पीएसएलसी सामान्य को खरीदने की अनुमति नहीं है। हालांकि, ऐसे बैंकों को उक्त हेतु पीएसएलसी कृषि, पीएसएलसी सूक्ष्म उद्यम और पीएसएलसी लघु और सीमांत किसान को खरीदने की अनुमति है।
28. प्रश्न 28: क्या अंतर्निहित परिसंपत्ति का पता लगाने के लिए केवल शुद्ध/निवल पीएसएलसी की स्थिति को ही ध्यान में रखा जाएगा?

उत्तर: बैंक अपनी आवश्यकतानुसार पीएसएलसी खरीद सकता है। इसके अतिरिक्त, किसी बैंक को पिछले वर्ष की पीएसएल उपलब्धि के 50 प्रतिशत तक, ऋण पुस्तिकाओं में अंतर्निहित किए बिना, पीएसएलसी जारी करने की अनुमति है। यह श्रेणीवार लागू है। तिमाही और वार्षिक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र रिटर्न की रिपोर्टिंग करते समय पीएसएलसी की शुद्ध/निवल स्थिति (पीएसएलसी खरीद – पीएसएलसी बिक्री) पर विचार किया जाना चाहिए। तथापि, अंतर्निहित परिसंपत्तियों का पता लगाने के संबंध में, 31 मार्च तक बैंक को बकाया प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र पोर्टफोलियो तथा जारी और खरीदे गए पीएसएलसी के योग के माध्यम से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र लक्ष्य को पूरा करना होगा।
29. प्रश्न 29: यदि आरबीआई निरीक्षण दल बाद में उन अंतर्निहित परिसंपत्तियों को, जिनका बैंक द्वारा पीएसएलसी के रूप में पहले ही कारोबार (ट्रेड) किया जा चुका है, पीएसएल वर्गीकरण की पात्रता से हटा दे, तो क्या होगा?

उत्तर: गलत वर्गीकरण, यदि कोई हो, को केवल पीएसएलसी विक्रेता बैंक की उपलब्धि से कम करना होगा। पीएसएलसी खरीदार के लिए कोई जोखिम नहीं होगा, भले ही, ट्रेड किए गए पीएसएलसी की अंतर्निहित आस्ति का गलत वर्गीकरण हो जाए।
30. प्रश्न 30: क्या प्रीमियम का भुगतान ई-कुबेर पोर्टल से किया जाना है या अलग आरटीजीएस लेनदेन के माध्यम से?

उत्तर: मिलान किए गए प्रीमियम का वास्तविक समय पर निपटान किया जाएगा। तदनुसार, आरबीआई के साथ सहभागी बैंकों के संबंधित चालू खातों को मिलान किए गए प्रीमियम की सीमा तक डेबिट/क्रेडिट किया जाएगा।
31. प्रश्न 31: ई-कुबेर पोर्टल में पीएलएससी ऑर्डर मिलान कैसे होता है?

उत्तर: ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म न्यूनतम बिक्री प्रस्ताव से खरीद प्रस्ताव के नियम का पालन करते हुए खरीद और बिक्री प्रस्ताव का मिलान करेगा और फिर उसके भीतर FIFO आधार पर मिलान करेगा। उदाहरण के लिए, एक खरीदार ने किसी विशेष पीएसएलसी प्रकार के लिए 2% प्रीमियम का भुगतान करने की पेशकश की और वही 1.5%, 1.8% और 2% पर उपलब्ध है, पोर्टल सबसे पहले 1.5% पर बिक्री सौदे के साथ मिलान करेगा और किसी भी बचे हुए यूनिट के लिए फिर 1.8% और फिर उसी क्रम में 2% की बिक्री पेशकश के साथ मिलान करेगा, बशर्ते खरीद प्रस्ताव कतार में पहले हो (खरीद प्रस्ताव की नियुक्ति के समय के आधार पर)।
32. प्रश्न 32: क्या ई-कुबेर पोर्टल पर पीएसएलसी ट्रेडों का स्वचालित मिलान होगा या खरीदार/विक्रेता प्रति‍पक्षकार का चयन कर सकते हैं? क्या आंशिक मिलान भी होगा?

उत्तर: ऑर्डर मिलान पोर्टल के माध्यम से नामरहित (अज्ञात) आधार पर किया जाएगा और खरीदार/विक्रेता प्रति‍पक्षकार का चयन नहीं कर सकते। आंशिक मिलान, बिक्री और खरीद के लिए श्रेणीवार पीएसएलसी लॉट के प्रीमियम और उपलब्धता के मिलान पर निर्भर करेगा।
33. प्रश्न 33: ई-कुबेर पोर्टल में पीएसएलसी बाजार का समय क्या है?

उत्तर: सामान्य ट्रेडिंग का समय सुबह 10 बजे से शाम 4:30 बजे तक होगा। पीएसएलसी बाजार शनिवार, रविवार, महाराष्ट्र सरकार द्वारा परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 के तहत घोषित छुट्टियों को छोड़कर सभी दिनों में संचालित होता है।
  ठ. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत आगे-उधार (ऑन-लेंडिंग)
34. प्रश्न 34: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को आगे-उधार (ऑन-लेंडिंग) देने के लिए पात्र संस्थाओं को ऋण देने के पीएसएल वर्गीकरण के लिए बैंक द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली क्या है?

उत्तर: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार पर मास्टर निदेश, 2025 के पैरा 22, 23 और 24 बैंकों को पात्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों को आगे ऋण देने के लिए एचएफसी और एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसायटी, ट्रस्ट आदि) सहित एनबीएफसी को दिए गए उनके ऋण को पीएसएल के रूप में वर्गीकृत करने की अनुमति देते हैं, जो इस क्षेत्र के लिए आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एसआरओ के सदस्य हैं। बैंक आगे-उधार (ऑन-लेंडिंग) देने के पीएसएल वर्गीकरण के लिए एक समान कार्यप्रणाली अपना सकते हैं, जो इस प्रकार है:

क) पीएसएल के तहत वर्गीकरण:

• बैंक पीएसएल की संबंधित श्रेणियों में पात्र संस्थाओं को आगे उधार को वर्गीकृत कर सकते हैं। वर्गीकरण की अनुमति केवल तभी दी जाएगी जब संस्था ने बैंक से धनराशि प्राप्त करने के बाद अंतिम लाभार्थी को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण वितरित कर दिया हो तथा धनराशि पीएसएल परिसंपत्तियों में निवेशित रहे।

• पात्र संस्थाओं को बैंकों को एक लेखा परीक्षक प्रमाणपत्र प्रदान करना होगा जिसमें कहा गया हो कि पोर्टफोलियो के व्यक्तिगत ऋण, जिसके लिए ऑन-लेंडिंग लाभ का दावा किया जा रहा है, का उपयोग किसी अन्य बैंक (बैंकों) से लाभ का दावा करने के लिए नहीं किया जा रहा है। साथ ही, उनको अपने आंतरिक/सांविधिक लेखा परीक्षकों के साथ-साथ आरबीआई पर्यवेक्षकों (एनबीएफसी के मामले में) को इसे सत्यापित करने हेतु सक्षम करने के लिए अपनी प्रणाली में ऐसे ऋण (ऋणों) को चिह्नित करने के लिए एक उपयुक्त प्रक्रिया स्थापित करनी चाहिए।

ख) सूचना साझा करना:

• बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए आंतरिक नियंत्रण तंत्र निर्मित कर सकते हैं कि ऋण के तहत पोर्टफोलियो पीएसएल के अनुरूप है। बैंक को पात्र संस्थाओं से कम से कम निम्नलिखित जानकारी/रिकॉर्ड एकत्रित करना ही चाहिए:

लाभार्थी का नाम, मंजूर राशि, बकाया ऋण राशि, ऋण अवधि, संवितरण तिथि, पीएसएल की श्रेणी।
35. प्रश्न 35: एनबीएफसी और एचएफसी को आगे उधार देने के लिए बैंक ऋण देने की सीमा क्या है?

उत्तर: एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) और एचएफसी को बैंक ऋण पिछले वित्तीय वर्ष की चार तिमाहियों की औसत पीएसएल उपलब्धि के 5% की सीमा के अधीन हैं। नए बैंक के मामले में यह सीमा उसके परिचालन के पहले वर्ष के दौरान निरंतर आधार पर लागू होगी। एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसाइटियां, ट्रस्ट, आदि), जो आरबीआई द्वारा इस क्षेत्र के मान्यता प्राप्त 'स्व-विनियामक संगठन' के सदस्य हैं, को बैंक ऋण देने के लिए निर्धारित सीमा लागू नहीं है। ऐसे एमएफआई को दिए गए बैंक ऋण को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2025 पर मास्टर निदेश में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार पीएसएल की विभिन्न श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है।
  ड. बैंकों और एनबीएफसी द्वारा सह-उधार
36. प्रश्न 36: क्या सह-उधार व्यवस्था एनबीएफसी को जोखिम का 100% अपने पास रखने की अनुमति देती है?

उत्तर: चूंकि दिशानिर्देश संबंधित व्यावसायिक उद्देश्यों के उचित संरेखण को सुनिश्चित करने के लिए बैंक और एनबीएफसी के बीच जोखिमों और प्रतिफलों को साझा करने की अनुमति देते हैं, अतः बैंक की बहियों में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की आस्तियां हर समय एनबीएफसी के सहारे के बिना होनी चाहिए।
37. प्रश्न 37: क्या आस्तियों का प्रत्यक्ष समनुदेशन केवल वहीं लागू होता है जहां बैंक अपने विवेकाधिकार का प्रयोग कर सकते हैं?

उत्तर: केवल जब बैंक समझौते के अनुसार एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न ऋणों को अपनी बहियों में लेने के संबंध में अपने विवेकाधिकार का प्रयोग कर सकता है, तब यह व्यवस्था प्रत्यक्ष समनुदेशन लेनदेन के समान होगी। यदि करार में एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न व्यक्तिगत ऋणों के अपने हिस्से को अपनी बहियों में लेने के लिए बैंक की ओर से एक पूर्व, अपरिवर्तनीय प्रतिबद्धता शामिल है, तो यह प्रत्यक्ष समनुदेशन लेनदेन के समान नहीं होगा।
38. प्रश्न 38: क्या सीएलएम दिशानिर्देशों में "अनिवार्य रूप से" शब्द का अर्थ यह है कि बैंक को एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न सभी ऋणों को लेना चाहिए या मास्टर करार में संख्या और राशि पर एक सीमा लगाई जा सकती है?

उत्तर: दोनों संस्थाएं अर्थात बैंक और एनबीएफसी, सह-उधार मॉडल (सीएलएम) को लागू करने के लिए अपने द्वारा निष्पादित द्विपक्षीय मास्टर करार द्वारा निर्देशित हो सकते हैं। करार, सह-उधार मॉडल के तहत एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न किए जा सकने वाले ऋणों की संख्या और राशि पर किसी सीमा का निर्धारण कर सकता है।
39. प्रश्न 39: एनबीएफसी द्वारा उत्पन्न ऐसे ऋणों का भविष्य क्या होगा जो केवाईसी और गतिविधियों के आउटसोर्सिंग पर आरबीआई के विनियमों का पालन करने के लिए समुचित सावधानी जांच के तहत अर्हता प्राप्त नहीं करते हैं।

उत्तर: यदि मास्टर करार में बैंक की ओर से पूर्व, अपरिवर्तनीय प्रतिबद्धता शामिल है, तो यह सूचित किया गया है कि साझेदार बैंक और एनबीएफसी को बैंक द्वारा पूर्व प्रत्याशित समुचित सावधानी के लिए उपयुक्त तंत्र स्थापित करना होगा। इस तरह की समुचित सावधानी, एनबीएफसी द्वारा ऋणों के संवितरण से पहले केवाईसी और गतिविधियों की आउटसोर्सिंग पर आरबीआई के विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करे।
40. प्रश्न 40: क्या बैक-टू-बैक का अर्थ यह है कि ऋण खाते पहले एनबीएफसी द्वारा खोले जाएंगे और उसके बाद बैंक अपनी बहियों में ऋण खाते खोलेगा या दोनों ऋण खाते खोलेंगे और एनबीएफसी के साथ उधारकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित ऋण करार के आधार पर दोनों उन्हें एक साथ निधि देंगे।

उत्तर: बैक-टू-बैक आधार का तात्पर्य यह है कि ऋण पहले एनबीएफसी द्वारा खोले जाएंगे और फिर बाद में बैंक ऋण खाते खोलेगा।
41. प्रश्न 41: निष्पादित ऋण दस्तावेजों के आधार पर, क्या एनबीएफसी पूरी राशि को मंजूर और संवितरित करेगा और उसके बाद प्रतिपूर्ति के लिए बैंक से संपर्क करेगा या वह ऋण के अपने हिस्से को मंजूर/संवितरित करेगा और बैंक के हिस्से की ऋण की मंजूरी/संवितरण के लिए बैंक से संपर्क करेगा।

उत्तर: बैंक और एनबीएफसी इस पहलू पर उनके बीच निष्पादित मास्टर करार के अनुसार निर्णय ले सकते हैं।
  ढ. कमी की गणना
42. प्रश्न 42: क्या वर्ष के लिए पीएसएल लक्ष्यों की प्राप्ति में कमी की गणना वित्तीय वर्ष की 31 मार्च तक बकाया पीएसएल ऋणों के आधार पर की जाती है?

उत्तर: उपलब्धि में कमी/अधिकता की गणना वित्तीय वर्ष की प्रत्येक तिमाही के लिए की जाती है। वर्ष के लिए कमी/अधिकता की गणना सभी चार तिमाहियों के लिए कमी/अधिकता का साधारण औसत लेकर की जाती है। समग्र पीएसएल लक्ष्य या किसी भी निर्धारित उप-लक्ष्य की प्राप्ति में कमी के मामले में, बैंक को नाबार्ड/सिडबी/मुद्रा/एनएचबी के पास रखी गई निर्दिष्ट निधि में योगदान करना होता है।

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